समाचारअधिशासी अधिकारी मुकेश कुमार का निलंबन-MIRZAPUR

अधिशासी अधिकारी मुकेश कुमार का निलंबन-MIRZAPUR

“करे कोई – भरे कोई”

मीरजापुर। मुकेश कुमार व रामजी उपाध्याय की सरलता, सज्जनता, संवेदनशीलता, निष्पक्षता और कर्त्तव्यनिष्ठा काम न आई। अधीनस्थों पर विश्वास करना भारी पड़ा। बतौर अधिशासी अधिकारी मिर्ज़ापुर में उनको आए एक माह बड़ी मुश्किल से पूरे हुए थे कि कर्मचारियों की गुटबाजी और पैंतरेबाजी ने मुख्यमंत्री का कोपभाजन बना दिया। कर्मचारियों की नकारात्मक प्रतिद्वंद्विता और आदेशों के अनुपालन में कोताही नगर पालिका परिषद्, मिर्ज़ापुर की छवि को धूमिल कर गई। इस मामले में हिंदुत्व और गोरक्षा की राजनीति करने वालों सभी खेमों और उसके अनुषांगिक संगठन से जुड़े लोगों को मौका मिल गया।
मुकेश कुमार सफ़ाई व्यवस्था पर विशेष ध्यान दे रहे थे। मुख्यमंत्री के आगमन की तैयारियों में पूरी तरह से लगे हुए थे। मुख्यमंत्री का दौरा टल जाने के बाद तालाबों पर हुए अतिक्रमण को लेकर सक्रिय हो गए। इसके पहले पालिका कर्मचारियों के आंदोलन को पालिका की सीमित संसाधनों के माध्यम से शांत करने का प्रयत्न किया। उस कार्य में काफ़ी हद तक सफल हुए। इसके बाद हो रहे भयंकर बारिश के कारण नगर पालिका के गौशालाओं पर ध्यान देना शुरू किया। नगर क्षेत्र में स्थित गौशाला तो अपने पक्के निर्माण के कारण सुव्यवस्थित दिखी। पालिका सीमा से 18 किलोमीटर दूर टांडा फाल के पास बने हुए अस्थायी गौशाला को व्यवस्थित को करने में लग गए। बस यही पर अधीनस्थों से टकराव प्रारंभ हो गया। पता चला कि यहाँ पर तैनात कर्मचारी ने अपने नुक्ताचीनी वाले रवैये के कारण उच्चाधिकारियों को पस्त कर रखा है। पालिका का सार्वजनिक निर्माण विभाग भी परेशान है। मामला को गौ वंश संरक्षण का था। मुकेश कुमार जब तक उसे दुरुस्त करते तब तक डीएम, मिर्ज़ापुर ने संज्ञान लेकर कठोर कार्रवाई प्रारंभ कर दी और इधर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में सीएम के कोप का शिकार स्वयं मुकेश कुमार हो गए। इस तरह नगर पालिका परिषद्, मिर्ज़ापुर में मुकेश कुमार की बतौर ईओ के रूप में उनकी पदस्थापना की अवधि बहुत छोटी रही और दूसरों के गुनाह का कोप भाजन बने ।

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