अपहरणकर्ताओं के चंगुल से मुक्त शुभम ने मुख्यमंत्री से लगाई न्याय की गुहार ,मिर्जापुर

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5 दिन तक अपहरणकर्ताओं के चंगुल में रहने के बाद मुक्त हुआ शुभम जयसवाल के मुकदमे में लीपापोती का आरोप

शुभम जयसवाल के परिजनों ने पड़री पुलिस के खिलाफ पुलिस महानिदेशक उ0 प्र0 शासन को पत्र लिखा है पत्र के मुताबिक थानाध्यक्ष पड़री द्वारा मुकदमा अपराध संख्या 0154 / 2020 के मामले में थाना पड़री पुलिस ने शुभम जयसवाल पर दबाव बनाकर प्रार्थी की सही बात को ना लिखकर पुलिस ने अपने मुताबिक जबरी तहरीर लिखवाया। दबाव डालकर लिखवाए गए तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज किया। जबकि शुभम जायसवाल के मुताबिक घटना बहुत ही संगीन था ।गंभीर धाराओं में लड़की पक्ष के ऊपर व अपहरणकर्ताओं पर पुलिस को मुकदमा कायम करना चाहिए था ।शुभम के अपहरण के बाद शुभम को तमाम शारीरिक व मानसिक यातनाएं दी गई ।
5 दिन तक शुभम जायसवाल पुत्र अशोक जायसवाल उम्र लगभग 26 वर्ष निवासी भरूहना चौराहा , थाना को देहात , जिला मीरजापुर अपहरणकर्ताओं के चंगुल में था। शुभम जयसवाल की माने तो दिनांक -26.08.2020 को आपसी प्रेम व सहमति से निहारिका निवासिनी थाना कोतवाली कटरा के सााथ हिंदू रीति रिवाज के साथ शुभम जयसवाल ने विवाह किया । शुभम के मुताबिक इस विवाह की जानकारी जैसे ही निहारिका के परिवार वालो को हुई तो वे लोग शुभम जयसवाल की हत्या करने की धमकी देने व दिलवाने लगे । शुभम केे मुताबिक लड़की पक्ष के लोगो को काफी समझाने का प्रयास किया लेकिन पत्नी पक्ष के लोग बहुत आक्रोशित थे और लगातार मेरा अपहरण कर हत्या करने की धमकी देने लगे । पत्र के मुताबिक शुभम वह निहारिका दोनो ने पिछले पाच वर्षों से आपसी प्यार के दौरान विवाह किया । लड़की पक्ष उक्त विवाह के खिलाफ था । लड़की पक्ष के द्वारा धमकी दी जा रही है कि तुम्हारे कारण समाज में मेरे परिवार की बदनामी हो रही है इसी बात की रंजिश को लेकर लड़की के परिवार के तीन व्यक्ति दिनांक -04.09.2020 समय करीब 3-4 बजे दोपहर के बीच भवानी देवरी से शुभम का मुह दबाकर अपहरण कर लिया और किसी अज्ञात सुनसान कमरे में बन्द कर दिया था और शुभम का दोनो मोबाइल . एवं जेब में रखा लगभग पाच हजार रुपया लूट लिया तथा अगले दिन दिनांक -05.09.2020 को समय देर रात्रि में किसी चार पहिया वाहन में शुभम का हाथ मुह , आख , बाधकर पीछे की डिग्गी में लाद दिया और कही दूर सुनसान अज्ञात स्थान पर कमरे में बन्द कर शुभम को बहुत मारा – पीटा गया, सिगरेट से पूरे शरीर को दाग दिया । उस स्थान पर तीन अज्ञात लोगो के अलावा लड़की के मामा व उनका लड़का भी आये और शुभम को काफी मारा – पीटा एवं हत्या करने की धमकी दिया । शुभम के अनुसार उनके द्वाराआपस में बातचीत की जा रही थी कि फूफा का आदेश मिलते ही शुभम की हत्या कर इसकी लाश को ठिकाने लगा दिया जायेगा । किसी प्रकार से जान बचाने में कामयाब शुभम व उसके परिजनों का आरोप है कि पुलिस शुरू से ही मामले की लीपापोती करने में जुटी है ।जिस दिन शुभम का अपहरण हुआ उस दिन पुलिस को जब जानकारी दी गई तो इतनी संगीन और गंभीर मामलों में पुलिस ने सिर्फ गुमशुदगी का रिपोर्ट कायम किया। शुभम के दिए गए प्रार्थना पत्र के अनुसार शुभम को आशंका है कि विपक्षी राजनैतिक तरीके से अत्यंत प्रभावशाली रूप से पुलिस पर अनुचित दबाव डाल सकते हैं ,और हो सकता है कि उल्टा शुभम व उनके परिजन को फंसाने के लिए विभिन्न गंभीर धाराओं में मुकदमा भी लिखवा सकते हैं ।शुभम ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखे पत्र में न्याय की गुहार लगाई है और कहा है कि किसी तेजतर्रार और ईमानदार अधिकारी से निष्पक्ष जांच कराई जाए जिससे अपराध करने वालों का हौसला टूटे और वह सलाखों के पीछे जाए। आरोप है कि जब दिनांक 9 सितंबर को शुभम सुबह 5:00 बजे ही पुलिस की बरामदगी में था तो बरामदगी के 17 घंटे तक अपहरणकर्ताओं के खिलाफ मुकदमा क्यों नहीं लिखा गया ? मुकदमा लिखा जाए कि ना लिखा जाए या समझौता कराया जाए इस विषय पर मैराथन मंथन थाने पर क्यों की गई थी ? शिवम के परिजनों का आरोप है कि क्यों हल्की धाराओं में देर रात मुकदमा कायम किया गया था। क्यों पांच बार तहरीर बदलवा बदलवा कर लिखवाया गया । अपहरण वाले दिन ही क्यों नहीं अपहरण का मुकदमा कायम किया गया। हालांकि शुभम जयसवाल का अपहरणकर्ताओं के चंगुल से जिंदा बच पाने के पीछे भी शुभम के परिजन पुलिस की कार्यशैली की प्रशंसा भी करते नजर आए। परिजनों के मुताबिक यदि देहात कोतवाली ने अपहरणकर्ताओं के परिजनों के ऊपर दबाव न बनाया होता तो शायद शुभम जिंदा ना बच पाता।