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*कृषि विज्ञान केन्द्र, अमिहित, जौनपर-2 पर जिला स्तरीय फ़सल अवशेष प्रबंधन जागरूकता कार्यक्रम संपन्न*



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आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति डॉ बिजेन्न्द्र सिंह जिबकर संरक्षण एवं प्रो . ए.पी. राव कुशल मार्गदर्शन में संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र अमिहित जौनपुर-2 पर फसल अवशेष प्रबंधन योजना के अन्तर्गत जिला स्तरीय जागरूकता अभियान कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि भाजपा के पूर्व विधायक माननीय दिनेश चौधरी जी की उपस्थित अभियान कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। जिसके दौरान कृषि विज्ञान केंद्र, अमिहित जौनपर-2 के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ संजीत कुमार ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुये कहा कि पराली जलाना एक सामाजिक एवं कानूनी अपराध है जिससे की पर्यावरण प्रदुषित होता है जो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। फसल अवशेष का उचित प्रबंधन करके बिगड़ते हुए पर्यावरण की स्थितियो से बचा जा सकता है। पराली के उचित प्रबंधन के लिए उसे काटकर सूखे चारे के रूप में, सर्दियों के मौसम में पशुओं के बिछवान के रूप में, वर्मी कंपोस्ट बनाने में, मशरूम उगाने में उपयोग करें। इसके साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए वेस्ट डिकंपोजर यंत्रों का उपयोग कर कम लागत कर रबी फसल की बुआई कर सकते है जिसमें भूमि संरक्षण कर उर्वरक की लागत को कम किया जा सकता है। आयोजक कृषि विज्ञान केंद्र, बक्शा, जौनपुर के अध्यक्ष महोदय डॉ सुरेश कन्नौजिया ने किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इसीक्रम में पादप रोग विशेषज्ञ डॉक्टर संदीप कुमार ने फसल अवशेष प्रबन्धन अतर्ंगत धान की पराली को मशरुम की उत्पादन में उपयोग कर विभिन्न प्रजातियों का प्रयोग कर कम लागत कर प्रबंधन कर किसानों की आय को दुगनी किया जा सकता है। इंजीनर वरुण कुमार ने कृषि यंत्रों का उपयोग कर फसल अवशेष को प्रबंधन किया जा सकता है। मृदा वैज्ञानिक डॉ दिनेश कुमार ने बताया कि फसल अवशेष को प्रबंधन कर मृदा की उर्वरकता को बढ़ाया जा सकता है। सस्य वैज्ञानिक डॉ संजय वैज्ञानिक ने फ़सल अवशेष प्रबंधन के लिए यंत्रों जैसे की क्रॉप चापर, मल्चर, सुपर सीडर का प्रयोग कर रबी फसलों की बुआई की जा सकती है एवम वेस्ट डिकॉम्पोजर जैसे की पूसा डिकॉम्पोजर कैप्सूल की 25 लीटर मात्रा को उपयोग कर एक हैक्टर की पराली का प्रबधन किया जा सकता हैं। डॉक्टर पशु वैज्ञानिक डॉ अमित कुमार सिंह ने बताया पशु पालन में धान की पराली को पशु चारा के उपयोग कर फसल प्रबंधन किया जा सकता हैं। इसीक्रम में कृषि वानिकी वैज्ञानिक डॉ अनिल कुमार ने बताया की धान की पराली का उपयोग मल्चर के रूप मे उपयोग करके फसल अवशेष प्रबंधन किया जा सकता हैं।
मुख्य अतिथि पूर्व विधायक केराकत माननीय दिनेश चौधरी ने किसानों का स्वागत करते हए उन्हे पराली ना जलाने के लिये प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि किसान भाई सरकार द्वारा चलाई जा रही किसान कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाकर अपने परिवार, अपने गांव, अपने ब्लॉक अपने जनपद को आत्मनिर्भर बनाये। इस कार्यक्रम के सफलतापूर्वक आयोजन में प्रक्षेत्र प्रबंधक विजय कुमार सिंह, प्रदीप कुमार यादव, सचिन यादव, धीरज कुमार, विवेक सिंह, विश्वजीत सिंह एवं तिलक राज सहित कृषि विज्ञान केन्द्र, बक्सा जौनपुर के समस्त वैज्ञानिकों एवं कर्मचारियों का सहयोग रहा। कार्यक्रम के समापन के दौरान कृषि विज्ञान केन्द्र अमिहित, जौनपुर-2 के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ संजीत कुमार ने सभी अतिथियों, किसानों प्रेस मीडया एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों का आभार व्यक्त किया।

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