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पत्रकारों की हत्या नही है, बल्कि पत्रकारिता जगत और लोकतंत्र की हत्या है–इण्डिया रिपोर्टर्स एसोसिएशन

नगर के पुरानी बजाजी पक्केघाट स्थित मिर्जापुर न्यूज डाट काम के संपादक वीरेन्द्र गुप्ता के आवास पर दैनिक भास्कर के मिर्जापुर ब्यूरो प्रमुख एवं आल इण्डिया रिपोर्टर्स एसोसिएशन के महासचिव विमलेश अग्रहरि की अध्यक्षता मे संपन्न पत्रकारो की बैठक मे बिहार के समस्तीपुर जिले के दैनिक भास्कर पत्रकार की गोली मारकर की गई निर्मम हत्या की कडे शब्दो मे निन्दा की गई। उनके आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखकर ईश्वर से प्रार्थना की गई। साथ ही परिजनो को सहनशक्ति प्रदान करने की ईश्वर से कामना की गई। देश के पीएम नरेंद्र मोदी और बिहार के सीएम नितिश कुमार से मांग की गई कि पत्रकार के निर्मम हत्या की सीबीआई जांच कराकर अपराधियो के खिलाफ एनएसए जैसी कार्रवाई की जाय।
वक्ताओ ने कहाकि राजनीति के गलियारे पर भ्रष्टाचार और दबंगई के दौर में लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ इस समय बेहद नाजुक दौर से गुजर रहा है। बिहार में पिछले 4 महीने में 3 पत्रकार और झारखण्ड में 2 पत्रकारो की हत्या केवल उन 5 पत्रकारों की हत्या नही है, बल्कि पत्रकारिता जगत, अभिव्यक्ति की आजादी और लोकतंत्र की हत्या है। पत्रकारिता की दुनिया के लिए यह काले दिन हैं, जब बुलेट से कलम का कत्ल किया गया, जब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सरेआम खून किया जा रहा है। अभी हजारीबाग के पत्रकार की मृत्यु की जाँच निष्पक्ष रूप से कराने की मांग ही हो रही थी की बिहार के समस्तीपुर से एक और कलम के सिपाही की बेरहमी से 7 गोली मारकर हत्या की सूचना मिली। आखिर इन हत्याओं के लिये हम कबतक केवल निंदा और श्रद्धांजलि देते रहेंगे ?
यह हत्याओं का न थमने वाला सिलसिला आखिर कब थमेगा ? कई खुलासों के बैंक तैयार करने वाले पत्रकार आम तौर पर सुबूत जुटाने में कई लोगों के निशाने पर हो जाते हैं। निशाना तबतक ही चूकता है, जबतक इन निशानेबाज़ों के हाथ, क़ानून और व्यवस्था की पकड़ से ढीले नहीं कर दिए जाते । यह वह कोण है, जिसमें राजनीति गंदी दिखायी पड़ती है क्योंकि भारत में पत्रकारों को सबसे ज्यादा खतरा नेताओं से है। पिछले 25 साल में सबसे ज्यादा उन पत्रकारों की हत्या हुई है जो राजनीतिक बीट कवर करते थे। कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में पिछले 25 सालों में जिन पत्रकारों की हत्या हुई है, उनमें 47 फीसदी राजनीति और 21 फीसदी बिजनेस कवर करते थे। ये आंकड़े साबित करते हैं कि देश में पत्रकारों के खिलाफ नेताओं और उद्योगपतियों का एक गठजोड़ काम कर रहा है। पत्रकारों का हर वह शख्स दुश्मन होता है जिसके हाथ काले कारोबार से सने होते हैं, नेता, पदाधिकिरी, माफिया, उग्रवादी, आतंकवादी सभी के लिये पत्रकार आंख की किरकिरी बना रहता है, उस पर से सितम यह, पत्रकार ही पत्रकार का दुश्मन होता है। अफ़सोस है ऐसे दोहरे चरित्र के पत्रकारों पर……मांस की गठरी कुत्ते रखवाले……पर इन्हें अपने मृत भाई का सौदा करते हुये भी शर्म नहीं आती पत्रकार सुरक्षा कानून एक मात्र हथियार है जिससे कलम के सिपाहियों की रक्षा हो सकती है। हम सभी को प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी को पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने के लिये तत्काल पत्र लिखना चाहिए। यह हमारे वजूद और अस्तित्व की लड़ाई है “चौथे स्तंभ” के वजूद को बचाने के लिये हम सभी यह पहल करें। बैठक मे एसोसिएशन के अध्यक्ष पत्रकार अमरनाथ सेठ, वीरेन्द्र गुप्ता, केजी वर्मा, धीरज सेठ, संतोष कुमार, सोनू गुप्ता, दिलीप केसरवानी, हरिकिशन अग्रहरि,संदीप श्रीवास्तव ,राहुल ,अजय गुप्ता आदि मौजूद रहे।

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