समाचारपत्रकार को गांव छोड़ने की धमकी का मामला गरमाया- मिर्जापुर

पत्रकार को गांव छोड़ने की धमकी का मामला गरमाया- मिर्जापुर

मिर्जापुर मड़िहान थाना क्षेत्र के रहने वाले युवा पत्रकार राजकिशोर विश्वकर्मा ने क्षेत्र में हो रहे पत्थर के अवैध खनन के खबर को कवरेज किया ,कवरेज के बाद समझौता न करने और खबरों को बेबाक तरीके से प्रचारित व प्रसारित कराने के बाद खनन माफियाओं में हड़कंप है ।तो वही पत्रकार जगत में भी भारी आक्रोश व्याप्त है ।दर्शल इस दुस्साहसिक घटना की लिखित सूचना पीड़ित पत्रकार के द्वारा मड़िहान थाने पर जाकर स्वयं थानेदार को दिया गया। घटना के 48 घंटे से ज्यादा समय के बाद भी मड़िहान पुलिस की सक्रियता का आकलन आसानी से इसी से लगाया जा सकता है कि अभी तक अपराधी पुलिस की पकड़ से दूर हैं । एक पत्रकार जिसने अपने कलम के दम पर कईयों का चेहरा बेनकाब करने का साहस किया, देश की संपदा, जनपद मिर्जापुर की बेशकीमती पहाड़ों को नाजायज सौदागरों से बचाने का कार्य क्या किया मानो इन अवैध खनन माफियाओं के बीच में पत्रकार सभी की नजरों का कांटा बन बैठा । लाख टके का सवाल यह है कि क्या पुलिस अपना काम करना छोड़ सकती है क्या जिलाधिकारी अपना पद छोड़ सकते हैं कि आज नेता या मंत्री अपने पद से त्यागपत्र दे सकते हैं यदि नहीं तो पत्रकार को अपनी पत्रकारिता क्यों छोड़ देने पर विवश किया जा रहा है ?आइडियल जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने पत्रकार के साथ हो रहे जघन्य अपराध में लिप्त लोग चाहे वह पुलिसकर्मी हो जिला प्रशासन हो या खनन माफिया जिस किसी का भी संरक्षण हो परोक्ष या अपरोक्ष रूप से उसको तत्काल बेनकाब करते हुए उसके खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही की मांग की है। पत्रकार वीरेंद्र गुप्ता ने इस घटना की घोर निंदा की है ।संगठन के दर्जनों पत्रकारों ने सदस्यों ने व पदाधिकारियों ने पुलिस प्रशासन को समाचार के माध्यम से अवगत कराने का प्रयास किया है कि तत्काल अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए ।इस घटना के बाद आइडियल जर्नलिस्ट एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रमोद देव पांडे राष्ट्रीय सचिव विरेंद्र गुप्ता , प्रदेश अध्यक्ष संतोष पांडे ,उपाध्यक्ष राजकुमार, प्रदेश सचिव राजकुमार सिंह पटेल विंध्याचल मंडल प्रभारी रामकुमार सिंह पटेल , मिर्जापुर अध्यक्ष संदीप श्रीवास्तव ,संतोष कुमार तिवारी , राष्ट्रीय संगठन मंत्री विमलेश कुमार अग्रहरी ,गंगा प्रसाद शुक्ला ,राजकुमार पटेल , गणेश पाल, रिशु बिंद ,अशोक बिंद सारिका दुबे,रमाशंकर ओझा के अलावा कई पत्रकारों में भी आक्रोश देखा गया। इस मामले में मड़िहान पुलिस का कहना है कि जिस मोबाइल नंबर से पत्रकार को धमकी दी गई है वह मोबाइल प्रार्थना पत्र में नाम दर्ज अभियुक्त का नहीं है ।फिलहाल पीड़ित पत्रकार ने प्रार्थना पत्र दिया है सघनता से जांच की जा रही है पुलिस का कहना है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। तो वही पत्रकारों का कहना है कि 48 घंटा से ज्यादा वक्त बीत गया पुलिस क्या कर रही है।

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