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प्रदेश में ला एंड आडर की स्थिति काफी खराब है-पूर्व प्रत्याशी राजेंद्र एस बिन्द

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सोनभद्र में हुए नरसंहार को लेकर राजनीतिक पार्टियों द्वारा प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी पर धावा बोला जा रहा है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव आज दिनांक 23/07/2019 को कार्यकर्ताओं के साथ इस नरसंहार में मारे गए लोगों के परिवार से मिलने सोनभद्र जा रहे हैं। इसी सिलसिले में भदोही समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष आरिफ सिद्दिकी व मिर्जापुर लोकसभा सपा के पूर्व प्रत्याशी राजेंद्र एस बिन्द के तत्वावधान में सोनभद्र के घोरावल कोतवाली अंतर्गत उम्भा गांव में जमीन विवाद को लेकर पिछले दिनों हुए नरसंहार के विरोध में तथा आदिवासियों के प्रति सहानुभूति जताने के लिए शांतिपूर्वक सोनभद्र जा रहे समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं के जुलूस को सोनभद्र पुलिस ने कर्मा थाने के पास आगे बढ़ने से रोक दिया। इस अवसर पर सोनभद्र नरसंहार की आलोचना करते हुए मिर्जापुर से समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रत्याशी व बिन्द समाज कल्याण संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेंद्र एस बिन्द ने संवाददाताओं को बताया कि प्रदेश में ला एंड आडर की स्थिति काफी खराब है। प्रदेश में हर रोज कहीं न कहीं अपराध की घटनाएं हो रही हैं लेकिन योगी जी इन आपराधिक घटनाओं को रोकने के बजाए इनके लिए पूर्ववर्ती सरकारों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। प्रदेश में जबसे यह सरकार आई है न तो अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं और न तो महिला ही। प्रदेश में महिलाओं के साथ बलात्कार जैसी घटनाएं काफी बढ़ गई हैं। मांब लिंचिंग की घटनाएं तेजी से बढ़ी है और प्रदेश की योगी सरकार इन घटनाओं को रोकने की बजाय केवल बयानबाजी कर रही है। सोनभद्र की घटना पुलिस की नाकामी का बड़ा उदाहरण है। प्रशासन को इस तरह की वारदात हो सकती है की जानकारी होने के बावजूद सोनभद्र की पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। उन्होंने आगे बोलते हुए कहा कि सोनभद्र में जिस तरह से दलितों का कत्लेआम किया गया वह सरकार की न केवल नाकामी को बताता है बल्कि इस बात का भी संकेत है कि इस सरकार के आने के बाद से दलितों और पिछड़ों के खिलाफ सवर्ण लोगों द्वारा किए जाने वाले अत्याचार बढ़ गए हैं। उल्लेखनीय है कि सोनभद्र के घोरावल कोतवाली क्षेत्र में पिछले दिनों चालीस टैक्टर में सवार घातक हथियारों से लैस 200 लोगों ने जमीन पर कब्जे को उम्भा गांव में अचानक हमला बोल दिया था जिसमें 3 महिलाओं सहित 10 आदिवासी लोगों की जान चली गई थी।

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