वीरेंद्र गुप्ता 94 53 82 1310,
चल पैदल चल रे भाइ अपने गाव की ओर….. यह पक्ती चरितार्थ होते, कुदरत की महामारी कोरोना वाइरस के कारण लाकडाउन के दौरान देखने को मिला । सभी जिलों के जिला प्रशासन बेसहारा ,असहाय ,मजदूरों को निरंतर भोजन उपलब्ध करा रहा है उसके बावजूद ये मजदूर अपने गांव जाने की चाहत में मिलने वाली सुविधाओं को भी दरकिनार करते हुए दिखाई दिए।एक तरफ सरकार का फरमान जारी हुआ है कि निर्माण कार्य चालू कर दिया जाय जिससे मजदुरो को काम मिल सके और भरणपोषण आसानी से होता रहे लेकिन मजदुरो को कहा भरोसा विवस होकर अपनी गाँव की ओर पैदल चल दिए। रविवार रात बनारस से निकल पड़े ये मजदूर सुबह लगभग सात बजे बीरशाहपुर गाँव कोतवाली देहात मिरजापुरसे गुजरते हुए दिखाई पडे ।जब इनसे पुछा गया कि आप लोग कहा से आ रहे हैं पुछने पर ये लोग बताये कि हम बनारस में इटावा गारा चुना पेंट की मजदुरी करते थे लेकिन कोरोना सक्रमण के कारण काम बन्द होने की वजह से हम लोग खाली पड़े थे। काम न मिलने की वजह से पैसे के लाले पडने लगे भोजन तो सरकार की तरफ से मिल जाता था लेकिन और आवश्यक आवश्यकता की पुर्ति नहीं हो पाती थी नन्हे मुन्ने बच्चों को दुध नहीं मिल पाता था सुलभ शौचालय में पैसे लगते थे बच्चों को दवाई नहीं मिल पाती थी उनसे पुछा गया कि सरकार एक एक हजार रुपये दे रही है तब इन लोगो ने बताया कि कि सरकार खाते में डाल रही हैं हम लोगो का खाता यहाँ नहीं है अपने गांव मध्य प्रदेश में है। मजदूरों ने बताये कि ठेकेदार छोडकर अपने गाँव बिहार चला गया तब हम लोग लाचार होकर पैदल गाँव मध्यप्रदेश सिहोर तहसील हनमना रीवा जिला की ओर चल दिए ये । लगभग सात बजे बीरशाहपुर गाँव को देहात मिरजापुर से होते हुए पैदल के रास्ते अकसौली थाना पडरी मिरजापुर होते हुए मध्यप्रदेश अपने गाँव की ओर निरन्तर चल रहें. यह मजदूर अपने गांव पहुंचने की चाहत ने लंबी पदयात्रा में होने वाले समस्याओं व दर्द भरी सफर को गले लगाने को ही बेहतर समझा।
बनारस से निकले मध्य प्रदेश जाने वाले मजदूर पहुंचे मिर्जापुर
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