आस्थायथार्थ गीता ही मानव मात्र का धर्मशास्त्र है- मिर्जापुर

यथार्थ गीता ही मानव मात्र का धर्मशास्त्र है- मिर्जापुर

अनादि काल से ऋषि मुनियों की भजन स्थली रही है श्रृंगवेरपुर स्वामी अड़गड़ानंद महाराज
प्रयागराज परमहंस आश्रम श्रृंगवेरपुर में सोमवार को सत्संग के दौरान भक्तों को स्वामी अड़गड़ानंद महाराज ने बताया कि श्रृंगवेरपुर अनादि काल से ऋषि मुनियों की भजन स्थली रही है श्रृंगी ऋषि के गुरु बिभांडक ऋषि भी यहां तपस्या किये थे इसीलिए यह तीर्थ के रूप में प्रसिद्ध है पूज्य स्वामी जी बताये की साधूनां दर्शनम पुण्यं , तीर्थ भूतादि साधवः l
काले फलन्ति तीर्थानि सड्यह साधू समागमः ll भूतकाल के साधु वर्तमान के तीर्थ होते हैं इसीलिए महापुरुष जन जहाँ जन्म लेते हैं या जहाँ भजन करते हैं जहाँ भ्रमण करते हैं या जहां शरीर का त्याग करते है सब तीर्थ के रूप में माना जाता है ऐसे स्थल पर जाने से पुण्य अर्जित होता है और सन्त महापुरुष मिल गए तो ईश्वरीय राह मिल जाते है अंत मे स्वामी जी बताये की यथार्थ गीता ही मानव मात्र का धर्मशास्त्र है सबके पास होना चाहिए हर घर में हर हाथ में यथार्थ गीता पहुंचने की जरूरत है इस अवसर पर तानसेन बाबा लाले बाबा आशीष बाबा शोभम बाबा बृज बिहारी महाराज जयश्री महराज तुलसी बाबा भाव नंद बाबा चिंतनमयानंद बाबा राजाराम बाबा सहित अन्य संत स्वामी जी के सत्संग के दौरान मौजूद रहे

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