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विंध्याचल में जूता चप्पल स्टैंड ना होने से दर्शनार्थियों एवं अन्य कर्मियों को हो रही है भारी दिक्कत

विंध्याचल में दूरदराज से आए एवम स्थानीय भक्तों के द्वारा बताया गया कि दर्शन के पूर्व जूता चप्पल उतारने की व्यवस्था स्थानीय जिला प्रशासन की तरफ से नहीं किया गया है जिसके चलते उनको भारी दिक्कतों का सामना करना


पड़ता है ना चाहते हुए भी मजबूरन उनको किसी दुकान का सहारा लेना पड़ता है।
ऐसे में एक तो कीमती जूता चप्पल दुकानों में पूरी तरीके से सुरक्षित नहीं रह पाता दूसरे ना चाहते हुए भी दुकानदारों से बढ़ी हुई कीमतों पर सामग्री भी लेनी पड़ती है।

जहां जनपद का जिला प्रशासन दर्शनार्थियों के लिए समस्त सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए निरंतर प्रयत्नशील है वही इस समस्या पर किसी का ध्यान न जाने से आम दर्शनार्थियों को इस समस्या से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है ।


वीआईपी या अति विशिष्ट विशिष्ट लोगों के सामने जूता चप्पल सुरक्षित रखने की चिंता भले ही न रहती हो लेकिन सामान्य वर्ग निम्न वर्ग के लिए जूता चप्पल असुरक्षित रखकर मंदिर में प्रवेश करना दिल धक-धक करने के समान होता है।

ऐसे दर्शनार्थियों द्वारा मंदिर में घुसते ही सर्वप्रथम भगवान भरोसे उतारे गए अपने जूता चप्पल के सुरक्षा की भी गुहार मंदिर में लगाते होंगे। दर्शन के पश्चात दर्शनार्थी जब दर्शन करके लौटते हैं उनका जूता चप्पल सुरक्षित मिलता है तो उनको जान में जान भी आता है ।
कुछ ऐसे दर्शनार्थी भी अपने मन की बात साझा करते दिखाई दिए लोगों ने मांग किया कि लॉकर, जूता चप्पल स्टैंड जगह जगह पर बना होना चाहिए जिससे कोई भी दर्शनार्थी अपना जूता चप्पल रखकर एक टोकन प्राप्त कर ले और वापसी पर टोकन देकर जूता चप्पल पुनः प्राप्त कर ले यह सुविधा इस क्षेत्र में किए जाने की मांग कई वर्षों से हो रही है यहां तक की विंध्याचल मेले में लगाए गए कई कर्मचारी भी इस समस्या को झेल रहे हैं ज्यादातर लोग घर का हवाई चप्पल पहन के मेला क्षेत्र में जाने को विवश हैं जबकि मंदिर की ओर जाने वाले समस्त रास्तों पर जूता चप्पल स्टैंड प्राइवेट सेक्टर को सामाजिक संस्थाओं को और स्थानीय जिला प्रशासन को भी इस पर अवश्य चिंतन करना चाहिए। जिससे सामान्य से सामान्य दर्शनार्थी भी तनाव मुक्त चिंता मुक्त और पूरी पवित्रता के साथ मंदिर परिसर से दूर जूता चप्पल सुरक्षित रख सके और नंगे पांव मंदिर की सीढ़ियों पर चढ़ सके।

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