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शिव महापुराण ज्ञान यज्ञ के नवम दिवस में उपस्थित भक्त समुदाय हुए लाभान्वित


मिर्जापुर वीरेंद्र गुप्ता 94 53 82 1310

जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणानंद तीर्थ महाराज के पावन सानिध्य में विकासखंड सिटी के रायपुर पोख्ता गांव में शंकराचार्य आश्रम पर आयोजित शिव महापुराण ज्ञान यज्ञ के नवम दिवस में उपस्थित भक्त समुदाय को संबोधित करते हुए बताए कि- गुरु के बिना जीवन में ज्ञान का मार्ग प्रकाशित नहीं हो सकता क्योंकि पूरे संसार में गुरु तत्व व्याप्त है ।
हमारी संस्कृति में वेदों में पुराणों में गुरु को ब्रह्मा विष्णु तथा महेश से भी अधिक महत्व दिया गया है जो शिष्य के श्रद्धा और भक्ति पर निर्भर करता है गुरु दीक्षा से ज्ञान से शिष्य को अध्यात्म की ओर प्रेरित करता है दूसरे अर्थों में कह सकते हैं कि गुरु केवल व्यक्ति नहीं बल्कि एक तत्व है और वह तत्व किसी भी अवस्था या रूप में हो सकता है ।। गरुड़ जी पक्षियों के राजा हैं किंतु उन्होंने काक भुसुंडि जी को अपना गुरु बनाया।
वह कहते हैं कि बिना गुरु के संसार रूपी सागर से उद्धार संभव नहीं है चाहे वह कोई भी हो।।।
महराज श्री ने बताया कि- शास्त्रों में गुरु को साक्षात महेश्वर कहा गया है क्योंकि गुरुजनों का कार्य शिष्य के सभी दोषों का संहार करना भी है इसलिए इन्हें महेश्वर भी कहा गया। शास्त्रों में गुरु शब्द का अर्थ भी यही है जो अज्ञान रूपी अंधकार को मिटाकर ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर बढ़ाएं ईश्वर के अस्तित्व में मतभेद हो सकता है किंतु गुरुजनों के लिए कोई मतभेद आज तक उत्पन्न नहीं हो सका ।प्रत्येक गुरुओं ने एक-दूसरे को आदर प्रशंसा एवं पूजा सहित पूर्ण सम्मान दिया है भारत के बहुत से संप्रदाय केवल गुरु वाणी से ही गुरु दीक्षा से ही कायम है गुरुजनों की भूमिका भारत में केवल आध्यात्मिक या धार्मिकता तक सीमित नहीं रही बल्कि देश पर राजनीतिक विपदा आने पर धर्मगुरुओं ने देश को उचित सलाह देकर विपदा से उतारा भी है,, अर्थात अनादिकाल से गुरु परंपरा चली आई है।
गुरु तथा देवता में समानता के लिए शास्त्रानुसार -;यस्य देवे परा भक्ति: यथा देवे तथा गुरु,,..
अर्थात जैसी भक्ति देवताओं के पूजन के लिए आवश्यकता है वैसी ही भक्ति सद्गुरुओं के लिए होनी चाहिए सद्गुरु की कृपा से ही ईश्वर का साक्षात्कार भी संभव है
महाराज श्री की कथा के पूर्व श्री काशी धर्मपीठ परंपरा अनुसार पादुका पूजन वैदिक मंत्रों से पंडित हिमांशु शुक्ला आचार्य कृष्ण कुमार दुबे एवं मुख्य हरीशचंद्र शुक्ला जी ग्राम प्रधान श्री शिवाकांत त्रिपाठी जी श्री नागेंद्र दुबे जी ,श्री राम सागर शुक्ला जी (बंसी )सहित हजारों भक्तों द्वारा पादुका पूजन एवं मंगलमय आरती उतारी गई।।
नोट”– आयोजक प्रतिनिधि राम सागर शुक्ला (बंसी) ने बताया कि 31 /01 /2021 को मुख्यातिथि-काशी विद्वत परिषद के अध्यच्छ पद्मश्री प्रो०रामयत्न शुक्ल ,सारस्वत अतिथि के रूप में काशी विद्वत परिषद के मंत्री,काशी हिन्दू विश्वविद्याल संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय व्याकरण विभाग के विभागाध्यक्ष-प्रो० रामनारायण द्विवेदी जी,विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ०रामाश्रय शुक्ल जी एवम काशी के 51 वैदिक विद्वानों द्वारा समापन किया जाएगा जिसके पश्चात विशाल भंडारे के साथ कथा का समापन भी किया जाएगा इस पावन पर्व पर आप सभी अधिक से अधिक संख्या में पधार कर अपने जीवन को धन्य बनाएं।

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