गणेश प्रभात शाखा के वार्षिकोत्सव मे स्वयंसेवकों ने नित्यप्रति सीखे दक्षताओ का किया प्रदर्शन
मिर्जापुर।
नगर के लालडिग्गी पार्क मे लगने वाली आरएसएस की गणेश शाखा का वार्षिकोत्सव रविवार को प्रात: धूमधाम से मनाया गया। पूर्ण गणवेशधारी सवंयसेवको ने नियमित शाखा मे सीखे गये खेल, योग, आसन, व्यायाम, प्राणायाम, दंड, नियुद्ध, सूर्य नमस्कार, समता आदि का प्रदर्शन कर अपनी दक्षताओ का प्रदर्शन समाज के बीच किया। तदुपरान्त विभाग संघचालक वरिष्ठ अधिवक्ता तिलकधारी जी का पाथेय स्वयंसेवकगण को प्राप्त हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ संघ संस्थापक डा हेडगेवार एवं श्रीगुरूजी के चित्र के समक्ष पुष्पार्चन कर मुख्य वक्ता विभाग संघचालक तिलकधारी , कार्यक्रम अध्यक्ष गोवर्धन त्रिपाठी एवं नगर संघचालक अशोक कुमार सोनी द्वारा किया गया।
इस दौरान अपने उद्बोधन मे सह विभाग संघचालक ने कहाकि हिन्दू समाज को संगठित करने के लिए संघ प्रारंभ हुआ था और आज संघ उस ध्येय पथ पर निरंतर आगे बढ रहा है। भारत हमारी मां है और हम सभी इसके पुत्र है। हिन्दुस्तान हिन्दू राष्ट्र है, हिन्दुत्व ही राष्ट्रीयत्व है और संगठन मे शक्ति है। यह बाते पुणे मे संघ की शाखा मे डाक्टर हेडगेवार ने कहा था। 1940 मे नागपुर के संघ शिक्षा वर्ग मे भी डाक्टर साहब ने कहा था कि हिन्दू राष्ट्र का लघु स्वरूप देख रहा हूं और इसके बाद उनका निधन हो गया था। हमारे सरसंघचालक मोहन भागवत भी कहते हैं कि सब हो सकता है, लेकिन भारत हिन्दू राष्ट्र है, हमारा यह भाव नहीं बदल सकता है। और इसी अधिष्ठान पर आज संघ और सभी कार्यकर्ता कार्य कर रहे है।
उन्होने बताया कि 1925 से 1940 के बीच डाक्टर साहब ने देश के सभी प्रान्त मे शाखा शुरू कर दी। 1937 मे वाराणसी मे धन धानेश्वर शाखा शुरू हो गयी। उत्तर प्रदेश के लिए इंटर पास भाऊराव देवरस को नागपुर से लखनऊ भेजा, जो लखनऊ आकर बीकाम एलएलबी गोल्ड मेडलिस्ट हुए, अखबार तक बेचा और संघ कार्य खडा किया। देवरी के सानिध्य मे आए अटल , दीनदयाल , सिंघल जी और रज्जू भैया जैसे श्रेष्ठ कार्यकर्ता निकले, जिन्होने राजनीति मे वैचारिक प्रवाह को परिवर्तित किया। माधवराव मुरे को नागपुर से एक टिकट देकर डाक्टर साहब ने कहाकि इस टिकट के अलावा देने के लिए मेरे पास कुछ नही, दिल्ली जाकर संघ कार्य करिये, मुझे दिल्ली गये और संघ को खडा किया। 1940 से 1973 तक सरसंघचालक माधवराव सदाशिव गोलवलकर जी ने देश के हर जिले मे तहसील स्तर तक संघ की शाखाओ को खडा किया। इन सबके लिए स्वयंसेवकगण का परिश्रम, त्याग तपस्या अतुलनीय और वंदनीय है। इसलिए मै कहता है कि संघ को समझने के लिए किताबो मे नही, बल्कि शाखा मे और शाखा के कार्यक्रमो मे आना होगा, तभी तो संघ का कार्य सरकार के सापेक्ष या उसके अनुकंपा अनुदान पर न होकर स्वयंसेवकगण के त्याग तपस्या की देन है अगर स्वयंसेवक सापेक्ष है। बताया कि संघ से प्रतिबंध हटने के बाद महाराष्ट्र के सिंधी प्रान्त मे सात दिन बैठक चली, जिसमे उत्तर भारत के संघचालक बसंतराव ओक ने कहाकि शाखा के साथ राजनीतिक क्षेत्र मे भाग लेना चाहिए, लेकिन गुरु ने कहा- राजनीति नही, संघ का कार्य केवल शाखा लगाना है।
कहाकि वार्षिक उत्सव के माध्यम से हमे समाज मे शाखा के द्वारा कितना बदलाव हुआ और कार्यकर्ताओ के व्यक्तित्व मे कितना गुणात्मक विकास हुआ, यह प्रदर्शित करने का अवसर मिलता है। यही कारण है कि संघ का स्वयंसेवक मनसा, वाचा, कर्मणा आजन्म संघ कार्य को दृढ प्रतिज्ञ होता है।
कार्यक्रम के दौरान संविधान निर्माता को भी याद किया गया। साथ ही जिला कार्यवाह चंद्र मोहन जी को भी कार्यकर्ताओ ने जन्मदिन की बधाई दी।
इस अवसर पर जिला कार्यवाह चंद्र मोहन, नगर कार्यवाह लखन, सह नगर कार्यवाह सौरभ, नगर प्रचार प्रमुख विमलेश, विभाग धर्म जागरण प्रमुख वीरेंद्र मौर्या , पूर्व चेयरमैन मनोज जायसवाल, संजय सेठ, नगर व्यवस्था प्रमुख विनोद, गणेश केसरवानी, अनमोल , अखिलेश अग्रहरि, अखिलेश, अंकुर, दिग्विजय, गोवर्धन, मनोज, सनोज, रामजी, अम्बर, ऋतिक पुरवार, राकेश, विनोद सहित तमाम स्वयंसेवकगण मौजूद रहे।