समाचारसाइबर हेल्प डेस्क कार्यशाला का किया गया आयोजन-

साइबर हेल्प डेस्क कार्यशाला का किया गया आयोजन-


*पुलिस उपमहानिरीक्षक विंध्याचल परिक्षेत्र मीरजापुर “रामकृष्ण भारद्वाज” द्वारा पुलिस लाइन मीरजापुर स्थित मनोरंजन कक्ष में साइबर हेल्प डेस्क कार्यशाला का किया गया आयोजन-*
*रेंज के प्रत्येक थाने पर साइबर की ट्रेनिंग देकर हेल्प डेस्क किया गया लांच-*
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आज दिनांक 22.04.2022 को पुलिस उपमहानिरीक्षक विंध्याचल परिक्षेत्र मीरजापुर द्वारा पुलिस लाइन स्थित मनोरंजन कक्ष में परिक्षेत्र के समस्त थानों में साइबर हेल्प डेस्क में नियुक्त समस्त पुलिस कर्मियों की साइबर कार्यशाला में परिक्षेत्र के जनपद(मीरजापुर, भदोही सोनभद्र) के सभी थानों पर साइबर हेल्प डेस्क पर नियुक्त समस्त पुलिसकर्मियों के कर्तव्यों के बारे में बताया गया तथा नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिं व साइबर पोर्टल के बारे में जानकारी दी गयी तथा पी0पी0टी0 के माध्यम से होने वाले स्पैमिंग, फिसिंग, हैकिंग, साइबर बुलिंग, वित्तीय अपराध व फर्जी बैंक काल, बाल अश्लीलता, साफ्टवेयर पाइरेसी इत्यादी के बारे मे जानकारी दिया गया।
** साइबर क्राइम होने पर हेल्प लाइन नंबर 1930 पर शिकायत दर्ज की जा सकती है। आम जनता में साइबर अपराध के रोकथाम हेतु जागरूकता फैलाये, साइबर हेल्प लाइन नंबर 1930 एवं WWW.CYBERCRIME.GOV.IN पर शिकायत कर्ता के शिकायत दर्ज करने में मदद करें, जिससे पीडित की धनराशि को फ्रीज कर वापस दिलाई जा सके। संज्ञेय साइबर अपराध की घटना में FIR हेतु थाना प्रभारी/साइबर नोडल अधिकारी को अवगत कराना, उपरोक्त सभी कार्यवाहियों का विवरण अंकित करने हेतु एक रजिस्टर साइबर हेल्प डेस्क पर अद्यतन करने हेतु निर्देशित किया गया।
* उपरोक्त कार्यशाला में पुलिस मुख्यालय उत्तर प्रदेश लखनऊ के साइबर क्राइम के एक्सपर्ट अधिकारी/कर्मचारियों द्वारा जूम एप के माध्यम से साइबर हेल्प डेस्क में नियुक्त अधिकारी/कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया।
पुलिस उपमहानिरीक्षक द्वारा बताया गया कि यदि साइबर अपराध के मामलों में पैसा फ्रॉड होता है तो 6 घंटे के अंदर पुलिस को सूचित करें, ताकि उस पैसे को फ्रीज कराया जा सके, ऐसी स्थिति में पैसा सत प्रतिशत वापस मिलने की संभावना रहती है। समय बीतने के उपरांत पैसा मिलने की संभावना कम हो जाती है, इस परिपेक्ष्य में मेरे द्वारा अपने रेंज से एक अलग से आदेश जारी किया गया था कि अब साइबर अपराध के मामलों में पीड़ित को इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा, आवेदक तत्काल संबंधित थाने पर एक लाख के ऊपर या कम की रकम के हुए अपराध को तत्काल संबंधित थाने को सूचना देकर पंजीकृत करा सकता है। साइबर अपराध के मामलों में अब मुकदमा लिखने में थाना प्रभारी को पुलिस उपमहानिरीक्षक/ पुलिस अधीक्षक की अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी, साइबर अपराध की सूचना मिलने पर पुलिस अधिकारी तत्काल दिए गए निर्देश के अनुरूप कार्रवाई करते हुए अपराध का पंजीकरण करेंगे ।
उक्त गोष्ठी में पुलिस उपमहानिरीक्षक/पुलिस अधीक्षक जनपद मीरजापुर, अपर पुलिस अधीक्षक नगर, अपर पुलिस अधीक्षक यातायात, क्षेत्राधिकारी नगर/प्रशिक्षणाधीन तथा परिक्षेत्र के सभी थानो पर नियुक्त साइबर डेस्क के अधिकारी/कर्मचारी, प्रतिसार निरीक्षक, साइबर थाना प्रभारी उपस्थित रहे ।

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