भारत जैसे देश में महिलाओं का शोषण हर स्तर पर होने की बात प्राय: सुनने को मिलती रहती है तो वहीं उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के हलिया निवासी महिला के साथ जो कुछ हुआ उसको सुनने के बाद जिस्म की सौदेबाजी सिर्फ रेड अलर्ट एरिया में ही नहीं ऑफिसर्स कॉलोनी में भी होती है कहा जा सकता है |इस महिला का कहना है की अधिकारी ने उसके पक्ष में फैसला देने के बहाने घर में बुलाया और उसके साथ जिस्मानी सम्बन्ध बनाया |पीड़ित महिला ने मीडिया से बात करते हुए जो आपबीती सुनाई हैं वह अत्यंत चौंकाने वाली है यदि इस महिला का आरोप सही है तो इसके मुताबिक इस का मुकदमा जिस न्यायालय में चल रहा था उसके न्यायाधीश ने मुकदमे पर चर्चा करने के बहाने महिला को अपने आवास पर बुलाकर उसके साथ संभोग किया वह भी एक बार नहीं 2 बार अलग-अलग तारीखों में इससे भी ज्यादा आश्चर्य तब हुआ जब इस महिला ने अधिकारी के साथ जिस्मानी संबंध बनाने की मौन स्वीकृति सिर्फ इसलिए दी कि अधिकारी के द्वारा उसके पक्ष में फैसला दिए जाने का आश्वासन मिलता रहा महिला को इस बात पर अफसोस है कि लेन-देन की इस कलयुगी दुनिया में अधिकारी को शरीर सौपने के पश्चात भी तारिख पर तारिख मिला फैसला नहीं मिलने से अपने आप को ठगी महसूस करती है| महिला ने आपबीती इलाके के प्रधान को बताया उसके बाद तो प्रधान ने कहा की ऐसे अधिकारी इमानदारी और संविधान का चोला पहन कर पद और गरिमा को कलंकित करने का काम किया | पिछड़े क्षेत्र की रहने वाली इस महिला के साथ किस तरीके का बर्ताव क्षेत्र में होता रहा है इसका अंदाजा इस के इस बयान से लगाना आसान हो जाता है जब इसने मीडिया से बात करते हुए कहा कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है अपने चरित्र और अपने जिस्म का सौदा जिस अंदाज में और जिस नजरिए से अधिकारी से किया गया उसने जीत भले ही अधिकारी की हो गई हो लेकिन हार तो भरोसे का, संविधान का गरिमा का चरित्र का हो गया |यह घटना तो एक बानगी मात्र कहा जा सकता है हालांकि इस घटना का कोई चश्मदीद नहीं है मगर आरोप को हल्के में लेकर नजरअंदाज करना भी समाज को भारी पड़ सकता है |इस आशय के साथ इस प्रकरण को बिना जांच के छोड़ देना अपराध की श्रेणी में भी आ सकता है इस घटना के बाद ऑफर की यह योजना जिसमें पक्ष में फैसला देने के एवज में जिस्मानी भूख मिटाने का प्रस्ताव रखा जाता है और इस प्रस्ताव के बाद दोनों पक्षकारों की सहमति से एक फरियादी महिला व जज के बीच में समझौता रूपी शारीरिक संबंध समाज को क्या संदेश देगा ?यह प्रश्न तब तक हल नहीं होगा जब तक इसका जवाब समाज दे नहीं देगा |एक ऐसी ही तारीख जिसमे संभोग के बाद फैसला देने की बात कही जा रही हो हला की महिला ने संभोग करने के पूर्व और संभोग के मध्य में भी संबंध स्थापित करने के दरमियान पक्ष में फैसला देने की अपील की थी परंतु संभोग के पश्चात अपील ठुकरा देने से नाराज महिला अब अपने आप को भयंकर ठगा महसूस कर रही है।
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