
मिर्जापुर। सिटी विकासखंड के रायपुर पोख्ता ग्राम के शंकराचार्य आश्रम परिसर में चल रहे श्रीमद्भागवत ज्ञानयज्ञ सप्ताह के अवसर पर अंतिम दिन सोमवार को आचार्यचरण अनंतश्री विभूषित काशीधर्मपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणानंद तीर्थ महाराज के सान्निध्य में विशाल समष्टि भण्डारे का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों की संख्या में भक्तों ने पहुंच कर प्रसाद ग्रहण किया। कथा में स्वामी जी ने बताया कि, वैदिक सनातन धर्म एक ज्ञान-विज्ञान है, जो हमें धर्म नियंत्रण की शिक्षा देता है। जहाँ धर्म के द्वारा नियंत्रण नहीं होगा, वहां उच्छृंखलता पैदा हो जायेगी, आतंकवाद-नक्सलवाद पैदा हो जायेगा, समाज, राष्ट्र और विश्व के लिए खतरा पैदा हो जायेगा। मनुष्य के जीवन में पशुता नहीं होना चाहिये। मनुष्यता और मानवता का निर्माण करने के लिए, मानव समाज के लिये वैदिक सनातन संस्कृति है। जो
” सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयः” का मंगल संदेश देती है।
महाराजश्री ने कहा कि जब शिष्य के भीतर शक्ति का जागरण होता है, तो वास्तव में यह आंतरिक गुरु का ही उन्नयन है। यही वह केंद्र है, जिसकी खोज जिज्ञासु युगों से करते रहे हैं। बाह्य जगत में हम जिन सुखों के पीछे भागते रहे हैं, वे भ्रम के अलावा और कुछ भी नहीं। इसके विपरीत हमारा आंतरिक गुरु परमानंद का अनंत स्त्रोत है।
पूज्य शंकराचार्य जी ने बताया कि, सनातन धर्म संस्कृति में परिछिन्नता नहीं है। जो नर-नारी पराधीनता से घिरे हुए हैं, सिमित और संकुचित विचारधारा से घिरे हुए हैं, जिनकी अहं बुद्धि है, उनके लिये सनातन धर्म मात्र एक सम्प्रदाय है किन्तु सनातन धर्म सम्प्रदाय नहीं यह भगवान के संतानों के लिये, भगवान द्वारा ही चल रहा है। वैदिक सनातन धर्म के संरक्षक स्वयं भगवान ही हैं।
हर नर-नारी को चाहिए कि वह अपने आप को गंदे विचारों, गंदे खानपान से सुरक्षित रखें क्योंकि यदि आप स्वयं अपने को सुरक्षित नहीं रखोगे तो परिवार, राष्ट्र, समाज और सम्पूर्ण विश्व को, सम्पूर्ण मानवता को कैसे सुरक्षित रखोगे। हर व्यक्ति को चाहिए कि अपने प्राण और धन को खोकर भी आत्मा की रक्षा करे लेकिन यह कला सीखने के लिए सत्संग में आना पड़ेगा। अगर सनातन धर्म की गुरु परम्परा में नहीं आएंगे, आचार्य, गुरु और शास्त्र के अनुशासन का पालन नहीं करेंगे तो यह रहस्य समझ में आने वाला नहीं है।
उक्त कार्यक्रम का आयोजन नारायण सेवा समिति, रायपुर पोख्ता द्वारा किया गया। जिसमें समिति के अध्यक्ष हरिश्चन्द्र शुक्ल(ग्राम प्रधान), समस्त पदाधिकारी एवं अन्यान्य भक्तों ने पादुका पूजन कर कथा लाभ प्राप्त किया।