किसान सम्मान योजना के ‘सम्मान’ पर दलाल लगा रहे बट्टा, डीएम ने दिए जांच के आदेश, मिर्जापुर

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वीरेंद्र गुप्ता मिर्जापुर,

किसान सम्मान योजना के ‘सम्मान’ पर दलाल लगा रहे बट्टा, डीएम ने दिए जांच के आदेश
-प्रधानमंत्री की अतिमहत्वाकांक्षी योजना का लाभ ले रहे भूमिहीन किसान भी
– एक सहज जनसेवा केंद्र का संचालक है इसका मास्टर माइंड
– रैकेट में कई छुटभैये नेता भी शामिल

मिर्जापुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अति महत्वाकांक्षी पीएम किसान सम्मान योजना में भी भ्रष्टाचार का घुन लग गया है। छुटभैये नेताओं द्वारा एक सहज जनसेवा केंद्र के माध्यम से ऐसे लोगों को भी लाभ दिलाया जा रहा है, जिनके पास एक धुर भी जोत की जमीन नहीं है। इसकी जानकारी होने पर जिलाधिकारी सुशील कुमार पटेल के निर्देश पर पूरे जिले में जांच शुरू हो चुकी है। इस रैकेट में शामिल व गलत तरीके से इसका लाभ लेने वाले कथित किसानों में खलबली मची हुई है। जांच की शुरुआत जमालपुर ब्लॉक के भभौरा गांव से हुई है। कानूनगो ने चार लोगों को नोटिस देकर कहा है कि वे बताएं कि उनके पास कितनी और कहां खेती की जमीन है।
बता दें कि इस योजना के तहत छोटे किसानों को छह हजार रुपये सालाना की मदद केंद्र सरकार द्वारा की जा रही है। यह भुगतान लाभार्थी के खाते में हर चार माह के अंतराल पर दो-दो हजार रुपये करके किया जाता है। शुरुआत में लाभार्थी के खेत का सत्यापन जब तहसील के माध्यम से किया जाता था, तब तक कोई गड़बड़ी नहीं होती थी, लेकिन जैसे ही कृषि विभाग ने सत्यापन के लिए बहुत ही कम मानदेय पर हर ब्लॉक में एक ऑपरेटर रखा तो उसने एक निश्चित रकम लेकर फर्जी खतौनी को भी सही बताना शुरू किया। इसका नतीजा यह है कि क्षेत्र के देवरिल्ला, गुलौरी, मुड़हुआ, डूही कलॉ-खुर्द, भभौरा आदि गांवों में थोक के भाव में ऐसे लोगों के खाते में योजना की रकम आने लगी है, जिनके नाम से कहीं भी जोत की जमीन नहीं है। गलत तरीके से योजना का लाभ लेने वालों का संख्या सैकड़ों से ज्यादा है।
जिलाधिकारी को जब पता चला कि एक खास इलाके में लाभ लेने वाले किसानों की संख्या वास्तविक किसानों से ज्यादा है तो उन्होंने तुरंत इसकी जांच के लिए आदेश दिए। इस आदेश के आलोक में 27 अगस्त को भभौरा गांव में हल्का कानूनगो ने प्राथमिक रूप से चार लोगों को नोटिस दिया। इसमें पूछा गया है कि आपके पास कितनी और कहां जमीन है।
एसडीएम सुरेंद्र बहादुर सिंह ने बताया कि जिलाधिकारी के निर्देश पर पूरे जिले में जांच शुरू की गई है। प्रारंभिक जांच में एक-एक कर गड़बड़ियां सामने आ रही हैं। जैसे-जैसे गड़बड़ी सामने आती जाएगी, जांच का दायरा बढ़ता जाएगा।

बहुत ही चालाकी से काम कर रहे रैकेट में शामिल दलाल
रैकेट के सरगना ने कई गांवों में अपने दलालों को छोड़ रखा है, जो 1500-1500 रुपये लेकर अपने सहज जन सेवा केंद्र से योजना की वेबसाइट पर जाकर आधार व खाता नंबर के साथ फीडिंग कर देता है। इसके बाद ब्लॉक में बैठे कृषि विभाग के दैनिक वेतनभोगी कर्मी को कुछ रुपये देकर उससे सत्यापित भी करा लिया है। हां, मामला पकड़ में न आए, इसलिए लाभार्थी के गांव का नाम बदल दिया जा रहा है, ताकि वेबसाइट पर बेनीफिशियरी की लिस्ट में संबंधित गांव में उसका नाम न दिखे, लेकिन किसान स्टेटस में जब कृषि विभाग के उच्चाधिकारियों ने आधार नंबर डाला तो मामला पकड़ में आया है। आधार कार्ड में पता कहीं और का है, और वेबसाइट पर लाभार्थी का नाम किसी और गांव में है। इस संबंध में उप कृषि निदेशक एके उपाध्याय ने बताया कि जांच पड़ताल मे दोषी पाए जाने पर दण्डनात्मक कार्रवाई के साथ ही रुपये की रिकवरी की जाएगी।