ग्राम पंचायत सचिवों पर बढ़ते गैर-कार्मिक कार्यों का बोझ, संगठन ने सीएम को भेजा विस्तृत पत्र

मिर्जापुर। ग्राम पंचायत सचिवों ने अपनी मूल जिम्मेदारियों से अलग लगातार बढ़ रहे गैर-कार्मिक कार्यों, ऑनलाइन उपस्थिति प्रणाली और संसाधनों की कमी को लेकर जिलाधिकारी को विस्तृत पत्र भेजकर प्रभावी समाधान की मांग की है।

ऑनलाइन उपस्थिति प्रणाली पर आपत्ति, कहा—“व्यवहारिक नहीं”

संगठन ने कहा कि ग्राम पंचायत कार्यालय क्षेत्र-आधारित होते हैं और सचिवों को प्रतिदिन 4–8 ग्राम पंचायतों में काम करना पड़ता है। ऐसे में किसी एक स्थान पर स्थायी ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करना भौगोलिक और कार्य प्रकृति के कारण संभव नहीं है।
इसके साथ ही सचिवों ने यह भी बताया कि निजी मोबाइल, फोटो व बैंक खाते ऑनलाइन लिंक कराना “निजता का उल्लंघन” है और साइबर धोखाधड़ी का खतरा बढ़ाता है।


29 से अधिक विभागों के कार्य का अतिरिक्त बोझ, योजनाओं का गुणवत्ता पर असर

पत्र के अनुसार ग्राम पंचायत सचिवों पर मनरेगा, आवास योजना, स्वच्छ भारत मिशन, परिवार रजिस्टर, जन्म-मृत्यु, पेंशन, कृषि, पशुपालन, सिंचाई, शिक्षा विभाग सहित 29+ विभागों के कार्य बिना संसाधन उपलब्ध कराए थोप दिए गए हैं।
इससे मूल विभागीय कार्य प्रभावित हो रहे हैं और सचिवों में भारी कार्य-भार, अव्यवस्था और तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

वाहन, तकनीकी सुविधाओं एवं पदोन्नति व्यवस्था की भी मांग

दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन और निरीक्षण के लिए सचिवों ने वाहन, मोबाइल, लैपटॉप और डेटा सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की है।
साथ ही वर्षों से लंबित पदोन्नति एवं वेतन विसंगति दूर करने, सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) के ग्रेड-पे को समान करने और सचिवों की प्रशिक्षण व्यवस्था सुधारने की मांग भी रखी गई है।

पत्र में कहा—“उपयुक्त समाधान मिलने तक ऑनलाइन उपस्थिति पर रोक”

संगठन ने अनुरोध किया है कि जब तक संसाधन उपलब्ध नहीं हो जाते, तब तक ग्राम पंचायत स्तर पर ऑनलाइन उपस्थिति प्रणाली को स्थगित किया जाए।
साथ ही शासन व संगठन के बीच संवाद स्थापित कर न्यायपूर्ण व तर्कसंगत समाधान निकालने की मांग की गई है, जिससे सचिवों की कार्यक्षमता, पारदर्शिता और योजनाओं का क्रियान्वयन प्रभावित न हो।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें