आस्थाजीव को अपना सर्वस्व ईश्वर को सौप देना चाहिए-स्वामी नारायणानंद तीर्थ महाराज

जीव को अपना सर्वस्व ईश्वर को सौप देना चाहिए-स्वामी नारायणानंद तीर्थ महाराज

9453821310-मिर्ज़ापुर मंडलान्तर्गत सिटी ब्लॉक रायपुर पोख्ता में चल रहे शिवभक्ति महायज्ञ एवं शिवगीता के माध्यम से श्री काशी धर्म पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणानंद तीर्थ जी महाराज ने कहा प्रेम ईश्वर का ही स्वरुप है और जहाँ पर त्याग होता है वहाँ प्रेम होता है प्रेम आनंद का जनक है भगवान की लीलाएं अनंत कालों से चली आ रही है संपूर्ण जगत का प्रकाशक एक मात्र ईश्वर है। जिसे अपना बना लो उसके दोषों को नही देखे जाते उसके दोषों को छिपाना चाहिए निंदा करने से दूरियां बढ़ती हैं भगवान बिभिन्न रूपों में सभी जीवों में व्याप्त है प्रेम न होने पर जीवन में सूखापन आ जाता है महाराज जी ने कहा गुरु अपने शिष्य को अहैतुकी कृपा द्रष्टि रहती है कर्मों के अनुसार ही सभी को फलों की प्राप्ति होती है साधना और तपस्या के द्वारा ही उच्च पदों की प्राप्ति होती है जीव की कामनाएं कभी पूर्ण नही होती संपूर्ण का फल परमात्मा को समर्पित कर देने का नाम ही समर्पण है स्वाभाविक कर्म करते रहना है क्योंकि साध्य के मिलने पर साधन का त्याग हो जाता है महाराज जी ने कहा सभी जन्म से सभी शुद्र ही होते है परंतु संस्कार होने पर द्विजता को प्राप्त करते हैं भौतिक ज्ञान को प्राप्त करके कोई ज्ञानी नही हो सकता उसके लिए आत्म ज्ञान का होना जरूरी है गुरु शिष्य को अपना अनुभव प्रदान करते हैं कर्मों का आधार ज्ञान को माना गया है और कर्म में श्रेष्ठता ज्ञान से आती है ज्ञान सभी के लिए उपयोगी है और ज्ञान के द्वारा ही समाज और राष्ट्र को उन्नत बनाया जा सकता है स्वामी जी ने कहा भक्ति के प्रभाव से दुराचारी भी सदाचार सम्पन्न हो जाता है पापी से पापी व्यक्ति भी भगवान की भक्ति करके मोक्ष को प्राप्त कर सकता है “जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरति देखी तिन्ह तैसी” जिसकी जैसी भावना होती है उसे वैसे ही फलों की प्राप्ति होती है एकता और अद्वैत का बोध होने पर संसयः नही रह जाता है द्वैत में अभिमान होता है जिनका मन चंचल होता है वह आध्यात्मिक उन्नति नही कर सकता “सरिता जल जलनिधि मह जाई” भगवान शिव राम जी से कहते है जैसे सभी नदियां सागर में मिल कर अचलता अनुभव करती है ऐसे ही जीव को अपना सर्वस्व ईश्वर को सौप देना चाहिए । इससे पूर्व पादुका पूजन का कार्य गुरुपीठ परम्परा अनुसार सविधि सम्पन्न हुआ जिसमें कार्यक्रम के मुख्य संयोजक ग्राम प्रधान हरिश्न्द्र शुक्ला, नागेंद्र दुबे,अशोक दुबे,शारदा शरण शुक्ल,राजेश्वर शुक्ल,अशोक शुक्ल,कमलेश शुक्ल बंसी शुक्ल सहित समस्त ग्रामवासियों और क्षेत्रवासियों ने पूजन किया।

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