एक घटना ने तमाम चुनाव से संबंधित बैठक उच्च अधिकारियों के द्वारा अपने मातहतों को दिया गया निर्देश उस वक्त नाकाम नजर आया जब समाजवादी पार्टी के एक नेता के द्वारा और बहुजन समाज पार्टी के एक सक्रिय कार्यकर्ता के द्वारा किसको मत दिया गया यह मोहर लगा हुआ बैलेट पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिससे एक बार पुनः निष्पक्ष स्वच्छ चुनाव हो जाने का दावा और दमखम रखने वाली व्यवस्था पर बड़ा प्रश्न चिन्ह आम जनमानस ने लगाया | लोग समझ नहीं पा रहे थे की एक सामान्य भोली भाली मतदाता को जहां जेब चेक कर कर के मोबाइल निकलवाया जा रहा था वही बड़े दल के नेताओं व कार्यकर्ताओं को ऐसी छूट किस आधार पर दी गई और इतने बड़े आचार संहिता का उल्लंघन करने की इजाजत किस और किन परिस्थिति में उनको मिला यदि उन को विशेष छूट नहीं दिया गया था तो सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि क्या वह बूथ सस्पेंड किया जाएगा वहां के जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी और क्या ऐसे बूथों पर पुनः मतदान कराने का निर्णय लिया जाएगा यह सवाल आज लोगों के भीतर घूम रहा है कि आखिरकार कैसे मतदान करते वक्त मतपत्र की संख्या व मतदाता किस पार्टी को मोहर लगा रहा है इसकी पूरी रिकॉर्डिंग और फोटोग्राफी बाहर कैसे आई यह पूरे चुनाव व्यवस्था पर बड़ा सवालिया निशान छोड़ रहा है ?और इस तमाम चुनावी दल के निशानों के बीच सबसे बड़ा चुनाव वयवस्था पर बड़ा निशान लोगों के बीच में कायम रहा |
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