जी हाँ इस खेल में नहीं होता है लड़कियों और महिलाओ को अपने तन बदन का ध्यान जब वो होती है अपने ऊपर चढ़े भूत उतारने के चरम अवस्था में | मिर्जापुर हिंदुस्तान में एक ऐसा शहर है जो उत्तर प्रदेश में बसा होने के बाद बाद सर्वाधिक विशाल क्षेत्रफल माना जाने वाला यह राज्य आज भी अत्यंत पुरानी परिपाटी व्यवस्था के तहत ही मानसिक समस्याओं का निदान ढूंढने के लिए ओझाओं के चंगुल से मुक्त नहीं हो पा रहा है| घटना मिर्जापुर जिला के पड़री थाना क्षेत्र के शिवलोक मंदिर का है जहां शिव चर्चा के बहाने सैकड़ों की संख्या में नवजात शिशु अवयस्क बालिकाएं वयस्क पुरुष के साथ साथ वृद्ध अवस्था में पहुंच चुके मानसिक रोगी यहां अपने ऊपर चढ़े भूत को उतरवाने के लिए इकट्ठा होते हैं इन पीड़ित लोगों से पूछने पर विभिन्न प्रकार के भूतों की जाति उपजाति व चुड़ैलों की प्रजाति के बारे में सुनकर आज का वैज्ञानिक युग अचम्भे में है |जब इनके ऊपर विशेष तंत्र मंत्र और साधना के दौरान उनका उपचार दिया जाता है उस दौरान उनके द्वारा किए जानेवाले हाव भाव नृत्य आदि देखकर एक स्वस्थ व्यक्ति भी अचंभित हो जाता है जिस वक्त महिलाएं और लड़कियां भूत उतरवाने का काम करती हैं उस वक्त इनको अपने बदन के खुल जाने का एहसास भी नहीं होता सार्वजनिक रूप से यह अंग प्रदर्शन व नृत्य आधुनिक नृत्य को पीछे धकेल देता है |इस घटना को कैमरे में कैद करते वक्त सर्वाधिक यक्ष प्रश्न के रूप में एक बात सामने आती है कि सैकड़ों की संख्या में पीड़ितों की भाषा में यदि कहा जाए तो भूत की चपेट में क्यों सर्वाधिक महिलाएं ही मिलती हैं इस अंधविश्वास की परंपरा को आज के वैज्ञानिक युग में आधुनिक युग में राजनीतिक भाषा में कहें तो डिजिटल इंडिया में यह कारनामा किसी बुरे स्वप्न से कम नहीं है चिकित्सा के क्षेत्र में सघन जांच सूक्ष्म परीक्षण व विश्वस्तरीय तकनीक के माध्यम से लगभग समस्त रोगों का निदान की बात कही सुनी जाती है लेकिन इन मरीजों का उचित उपचार के लिए तमाम स्वयंसेवी संस्थाएं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, मंडली जिला अस्पताल ,से लेकर ट्रामा सेंटर और PGI जैसी संस्थाए की मौजूदगी के पश्चात भी इस तरीके की घटना का वीडियो हम सब को पाषाण युग में ले जाने पर विवश करता है और शिकार युग की याद दिलाता है|
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