मिर्ज़ापुर आयकर व्यापारकर अधिवक्ता संघ की एक बैठक में जी एस टी से सम्बंधित वार्षिक टर्नओवर वाले व्यापारियों को वैकल्पिक व्यवस्था मेनुवली,ऑनलाइन करने और आयकर रिटर्न पर अर्थदण्ड समाप्त किये जाने पर एक प्रस्ताव पारित किया गया ,तथा जी एस टी के प्राविधानों पर चर्चा की गई ।अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष ने निम्नलिखित प्रस्ताव केंद्र सरकार को प्रेषित करने का निर्णय लिया ।
1.जी.एस. टी.प्रणाली को धीरे धीरे लागू किया जाना चाहिए ताकि लोग इसके अभ्यस्त हो जाएं ।त्रुटी के लिए कोई विधिक कार्यवाही ना करते हुए प्रावधानों का समय से पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाय जिससे भविष्य में सभी कार्य समय से पूर्ण हो सकें।
2.इ-वे बिल बिल की अनिवार्यता को बढ़ती मंहगाई को देखते हुए कम से कम 5 लाख के ऊपर किया जाना चाहिए ।
3.जो करदाता अभी तक समाधान योजना नही अपना सके ,किन्तु उसका विकल्प स्वीकार करके व्यवसाय करना चाहते है उन्हें 30 सितम्बर 2017 तक एक मौक़ा दिया जाना चाहिए ।सर्वर व् नेटवर्क की समस्या के कारण कार्य बाधित होता है अतः 30.09.2017 के पूर्व किसी भी विधिक कार्यवाही का लाभ पाने से करदाताओं को वंछित करना विधि सम्मत नही है ।
4.जिन वस्तुओं पर वाणिज्य कर अधिनियम /वेटकर में किसी भी स्तर पर कोई भी कर देयता नही थी किन्तु जी.एस. टी.कानून उसपर करदेयता निर्धारित की गई है उस पर करदेयता समाप्त की जाय ।
5.यह की 75 लाख रु. तक के नीचे के व्यापारियों के लिए रजिस्ट्रेशन संशोधन एवम् समाधान की कार्यवाही को छोड़कर शेष सभी कार्यवाही एवम् विवरण दाखिल करने ,चलन जमा करने की वैकल्पिक व्यवस्था यानी मैनुअल /ऑनलाइन विधि द्वारा किया जाय ।
6.GST अधिनियम में जिन वस्तुओं पर 28%की करदेयता निर्धारित की गई है उसपर 5%या 12%की दर निर्धारित की जाय क्योकि उसमे अधिकांश वस्तुऍ अतिआवश्यक जीवन रक्षक वस्तुएँ है ।
7.पूजन सामग्री को पूर्ण तथा करमुक्त हो जाना चाहिए जैसा की पूर्व के प्रावधान में कोई करदेयता नही थी ।
8.यह की 75 लाख रु.वार्षिक टर्नओवर वाले करदाताओं के लिए माहवारी विवरण दाखिल करने की जगह त्रैमासिक विवरण दाखिल करने का आदेश पारित करना आवश्यक है क्योकि उन्हें माह में तीन बार ई फाइलिंग द्वारा रिटर्न दाखिल करना संभव नही है ।
9.कम्प्यूटर ,लेपटॉप, प्रिंटर तथा मोबाईल फोन को या तो करमुक्त या 5%की करदेयता निर्धारित की जाय क्योकि ये चीजे अतिआवश्यक वस्तु हो गई है ।
10.ठीकेदारी के व्यवसाय के लिए समाधान योजना तत्काल लागू किया जाय ।ईटा, भट्टा व्यवसाय में प्रदूषण एवम् पर्यावरण के पर्माणपतर् की अनिवार्यता को समाप्त किया जाय क्योकि यह कार्य अधिकतम शहर के बाहर ग्रामीण/पहाड़ी क्षेत्र में होते है ।जँहा नियमित प्राविधान को पालन करने में अति परेशानी होगी ।
निम्नलिखित प्रस्ताव सरकार को प्रेषित-अधिवक्ता संघ अध्यक्ष
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