मिर्जापुर क्षेत्र की पहाड़ियों पर बसा अष्टभुजा देवी का मंदिर अति प्राचीन है ।मंदिर की विशेषता है कि इसमें जो भी श्रद्धालु माता अष्टभुजा देवी का दर्शन करने के लिए जाते हैं तो प्रवेश द्वार से ही उनको शीश झुका के ही अंदर प्रवेश कर पाते हैं ।गुफाओं और बड़ी चट्टानों के बीच बसी माता अष्टभुजा देवी के धाम में जाने वाले श्रद्धालुओं की आस्था उस वक्त और प्रखर हो जाती है जब मां के दर्शन के पश्चात गुफा से बाहर निकलते हैं तो अलौकिक शक्ति की उपस्थिति के अनुभव का लाभ लेते हैं, मन की शांति की बात भी करते हैं साथ ही साथ अति रमणीय स्थल को देख नैसर्गिक वातावरण का पूरा दर्शन अपनी आंखों में भर लेना चाहते हैं। मिर्जापुर आने के बाद इस स्थान को हर कोई देखना चाहता है यहां के महत्व को समझना चाहता है लेकिन पर्यावरण प्रेमियों ने चिंता भी जाहिर किया है कि पहाड़ों पर हो रहे अतिक्रमण व अवैध निर्माण को यदि नहीं रोका गया तो जिस तरीके से यहां पर बसने वाले काले मुँह वाले लंगूर की संख्या कम हो रही है ,झरने सूख रहे हैं प्राकृतिक रस्तों का आवागमन बाधित हो रहा है पेड़ों का अवैध कटान निरंतर जारी है इसके अलावा सबसे चिंताजनक पहलू पहाड़ पर अवैध खनन इन मिर्जापुर की धरोहर को ही नहीं बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड में शक्ति के रूप में जाना और माना जाने वाला अष्टभुजा पहाड़ी को लेकर बुद्धिजीवियों ने चिंता जाहिर किया है| दर्शनार्थियों के लिए व पर्यटकों के लिए अष्टभुजा देवी का स्थान सर्वाधिक लोकप्रिय माना जाता है एक तरफ सरकार मिर्जापुर में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है दूसरी तरफ अवैध रूप से वन संपदा को कब्जा करने वाले दिन दूना रात चौगुना पहाड़ को निगलने की फिराक में लगे हैं| मिर्जापुर जनपद वासी अपनी पहचान और अपने अस्तित्व के इस खतरे को भापकर चिंतित भी दिखाई दे रहे हैं|
पर्यटक व दार्शनिक स्थलों पर भू माफियो का अवैध कब्ज़ा-MIRZAPUR
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