मिर्ज़ापुर मंडलान्तर्गत सिटी ब्लॉक रायपुर पोख्ता में चल रहे शिवशक्ति महायज्ञ एवं शिवशक्ति के माध्यम से श्री काशी धर्म पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणानन्द तीर्थ जी महाराज ने सत्संग के माध्यम से कहा संसार के जीव इन्द्रिय सुख को ही सब कुछ मानकर सुखानुभूति करते रहते है मनुष्य जीवन पाकर भी यदि सदगति नहीं होगी तो फिर मुक्ति बहुत ही दुर्लभ है ईश्वर प्राप्ति के लिए चित्त की शुद्ध जरूरी है स्वामी जी ने कहा जितना भी दृश्य प्रपंच भासित हो रहा है उसका मूल भगवान है संसार को सत्य मानकर भोगों में लिप्त रहना ही अज्ञान है मनुष्य को जब भी ज्ञानानुभूति होती है वह चेतन से ही होती है मन और वाणी के द्वारा अद्वैत ब्रम्ह की अवस्था का वर्णन नही किया जा सकता गुरुज्ञान के द्वारा ही संसय रूपी गांठ को खोला जा सकता है| “भिद्यन्ते हृदय ग्रन्थि, छिद्यन्ते सर्व संसयः” जीवन में जैसा संसय होगा वैसा ही हमको प्रतीत होगा| “सोई जाने जेहि देहु जनाई” किया गया ज्ञान धर्म दान और तपस्या समाप्त नही होती उसका फल अवश्य प्राप्त होता है महाराज जी ने कहा भारत ही एक ऐसा देश है जहाँ उच्चकोटि का ज्ञान है और जहाँ संवाद के माध्यम से गुरु अपने शिष्यों को प्रदान करते हैं ब्रम्हज्ञान के लिए भगवन के सगुण स्वरुप का चिंतन करना चाहिए सांसारिक सुख सुविधाओं से जीव की प्यास को नही बुझाया जा सकता उसके लिए पूर्ण ब्रम्ह की प्राप्ति ही जरूरी है । जीवन में नकारात्मक विचारों को नही लाना चाहिए विकारों और झगड़ो से दूर करने के लिए ही सत्संग जरूरी है स्वयं के अज्ञान के कारण जीव नस्वर शरीर को अपना मान लेता है हमारा शरीर एक यंत्र के सामान है जिसकी सहायता से जीव यात्रा करता है जो संपूर्ण सृष्टि जगत को प्रकाशित करता है वही है काशी विकारों को दूर करने के लिए अच्छे संस्करों की जरुरत होती है संकल्प और विकल्प बुद्धि के द्वारा होते हैं दर्पण के गंदे होने पर अपना भी स्वरुप गन्दा ही दिखाई देता है ऐसे ही यदि अपना मन रूपी दर्पण गन्दा हो गया तो आत्मा का ज्ञान नहीं हो सकता मनुष्य के सुधार का तरीका एकमात्र सत्संग ही है। इससे पूर्व सदगुरुदेव भगवान की पादुका पूजन का कार्य गुरुपीठ परम्परा अनुसार द्वारा सविधि सम्पन्न हुआ जिसमें कार्यक्रम के मुख्य संयोजक हरिश्चंद्र शुक्ला, नागेंद्र दुबे,शारदा शरण शुक्ल,राजेश्वर शुक्ल,अशोक शुक्ल,कमलेश शुक्ल बंसी शुक्ल,अशोक दुबे सहित समस्त ग्राम वासियों और क्षेत्रवासियों ने पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किया ।
मनुष्य के सुधार का तरीका एकमात्र सत्संग ही है-स्वामी नारायणानन्द तीर्थ महाराज-MIRZAPUR
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