मीरजापुर – बारजा सड़क पर निकालने की शिकायत करना परिजनों को पड़ा भारी

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मिर्जापुर के अहरौरा थाना क्षेत्र के हरदहा ग्राम में सड़क की तरफ बारजा निकल रहे व्यक्ति की शिकायत करना शिकायतकर्ता को बहुत भारी पड़ गया ।शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत को वापस लेने की गुहार जिलाधिकारी मिर्जापुर से लगाई है।

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शिकायत करता सुजीत यादव ने कहा कि विपक्षी मनीष साहनी के द्वारा सड़क की तरफ नियमों को ताख पर रख कर बारजा निकाला जा रहा था जिसकी शिकायत उन्होंने थाने पर की। बाद में उसके ऊपर इतना दबाव बना दिया गया की दो फीट बारजा निकालने की सहमति पत्र अनुचित दबाव के बाद बनवा दिया गया।घटना के बाद पुलिस ने वीएनएस की धारा 126, 135 में चालान कर दिया। पीड़ित सुजीत यादव ने कहा कि विपक्षी के द्वारा बारजा भी निकाल लिया गया जो सीधे-सीधे अतिक्रमण के दायरे में आता है मोहल्ले की दुश्मनी भी मिली और वीएनएस की धारा भी लाद दी गई ।ऐसे में जनहित में कोई व्यक्ति कैसे पुलिस को सूचना देगा सुजीत ने कहा कि जब की कार्रवाई अवैध रूप से बारजा निर्माण कर रहे लोगों के खिलाफ पुलिस को करनी चाहिए थी ऐसे में अतिक्रमण कर रहे लोगों का मनोबल पूरे क्षेत्र में बढ़ा हुआ है ।सुजीत की माता ने पुलिस के द्वारा धारा 126, 135 लगा दिए जाने के बाद अपने शिकायती पत्र को शून्य मानते हुए मांग किया है कि उसको किसी से किसी प्रकार की आपत्ति नहीं है और वह किसी प्रकार का मुकदमा या पाबंद के कानूनी दाव पेज को झेल पाने में सक्षम नहीं है। सुजीत की माता मंजू देवी द्वारा जिलाधिकारी मिर्जापुर को लिखे पत्र ने कई सवालों को समाज के सामने खड़ा कर दिया है। अब लोग सवाल करने लगे हैं कि जनहित में किसी की शिकायत करना कितना भारी पड़ सकता है।
उपरोक्त प्रकरण पर उप निरीक्षक संजय कुमार सिंह ने एक बयान में कहा कि बनारसी साहनी के द्वारा अपना घर बनाया जा रहा था। बनारसी साहनी के द्वारा रोड पर अपना बारजा निकाला जा रहा था जिसका विरोध मंजू देवी ने लिखित शिकायत के माध्यम से किया था ।दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया जिसके चलते दो फीट का बारजा निकालना की सहमति पर आपसी सुलह करा दिया गया है। अब बड़ा सवाल लोगों के बीच चर्चा होने लगा कि क्या दो लोगों की सहमति से नियमों की धज्जियां उड़ाई जा सकती हैं ?रोड पर अतिक्रमण किया जा सकता है ?और अगर क्या मोहल्ले के लोगों की सहमति से कानून को ताक पर रखकर अतिक्रमण की प्रवृत्ति को बढ़ाया जा सकता है ?अगर ऐसा नहीं तो अतिक्रमणकारियो के खिलाफ पुलिस ने क्या कार्रवाई की? बड़ा सवाल है।