हर मज़हब की इबादत का अपना ढंग होता है। इसके अलावा हर मज़हब में ऐसी कोई न कोई रात या कुछ ख़ास बातें इबादत के लिए (विशिष्ट) होती हैं जिनकी अपनी अहमियत होती है।
मिसाल के तौर पर सनातन धर्म (मज़हब) में भगवती जागरण/ नवरात्रि जागरण/ जैन धर्म में ख़ास यानी विशिष्ट तप-आराधना (इबादत), सिख धर्म में एक ओंकार सतनाम का जाप, ईसाई मज़हब में भी स्पिरिचुअल नाइट्स फॉर स्पिरिचुअल लम्हात होते हैं |लेकिन किसी भी मजहब के साथ सभी की भागीदारी हो जाय तो मानवीय आधार पर इसको चार चाँद लगना कहा जा सकता है |मिर्ज़ापुर में रोजा इफ्तार के बहाने समाजवादी पार्टी कार्यालय में सपा जिलाध्यक्छ आशीष यादव के आहवाहन पर सभी राजनितिक दलों के लोग चाहे वो किसी भी जात बिरादरी के हो एक साथ बैठ कर इस कार्यक्रम में न सिर्फ सरीख हुए बल्कि समाज में भाईचारा का बेहतर सन्देश भी दिया जिसने भी ये एकता देखा उसके जुबान से सहज ही निकला वाकई मेरा हिन्दुस्तान महान है जहा अनेकता में एकता कायम है | BSP नेता परवेज खान सपा नेता राजू चौबे कोन ब्लॉक के प्रमुख पति व सपा नेता आनंद त्रिपाठी ने जनपद वासियो को इस पर्व पर हार्दिक बधाई दिया है
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