सनबीम स्कूल मिर्जापुर का 11वाँ वार्षिक अभिभावक संध्या समारोह धूमधाम से सम्पन्न

मिर्जापुर, 9 नवम्बर।
सनबीम स्कूल मिर्जापुर में “Emotional Empowerment – A Way to Resilience” यानी ‘भावनात्मक सशक्तिकरण’ विषय पर आधारित 11वाँ वार्षिक अभिभावक संध्या समारोह भव्य रूप से आयोजित किया गया। समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसमें मुख्य अतिथि डॉ. अनुपमा मिश्रा (प्राचार्या, सनबीम वरुणा) एवं विद्यालय के निदेशक मंडल सुरेश आहूजा, अमन आहूजा ,श्वेता आहूजा ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।

कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय की गतिविधियों की झलकियों से हुई। इसके बाद विद्यार्थियों और शिक्षकों ने अपनी प्रतिभा का मनमोहक प्रदर्शन कर सभी का दिल जीत लिया। गणेश वंदना से आरंभ हुए इस सांस्कृतिक समारोह में नन्हे-मुन्ने बच्चों ने विविध रसों—श्रृंगार, हास्य, वीर, भयानक और अद्भुत—पर आधारित प्रस्तुतियाँ दीं, जिन्होंने सभागार में मौजूद दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

नर्सरी से लेकर कक्षा 12 तक के विद्यार्थियों ने मेरे पापा, कान्हा सो जा ज़रा, हरिहर (पृथ्वीराज चौहान), काली ताण्डव और शांति नृत्य जैसी शानदार प्रस्तुतियाँ दीं। हर प्रस्तुति में विद्यार्थियों की ऊर्जा, आत्मविश्वास और सृजनशीलता झलकती रही।

कार्यक्रम का संचालन विद्यालय के छात्र-छात्राओं — सुहाना, अस्मी, तृषिका, मान्या, अर्पित, प्रज्ञा, तान्या और अविनाश — ने अत्यंत प्रभावशाली ढंग से किया। सभी संचालकों की भाषा, उच्चारण और आत्मविश्वास ने मंच को जीवंत बनाए रखा।

अतिथियों ने विद्यालय परिवार के इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि भावनात्मक सशक्तिकरण जैसे विषय पर कार्यक्रम आयोजित कर विद्यालय ने एक अनुकरणीय पहल की है। उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि बच्चों के मन और भावनाओं को भी संवेदनशील बनाना ज़रूरी है।

अपने संबोधन में विद्यालय की निदेशक ने कहा कि आज के समय में बच्चों की भावनाओं को समझना बेहद आवश्यक है। उन्हें केवल पढ़ाई नहीं, बल्कि स्नेह, संवाद और सहयोग की भी ज़रूरत होती है। जब हम बच्चों के दिल की बात सुनते हैं, तभी वे आत्मविश्वास से आगे बढ़ पाते हैं।

समारोह के अंत में प्राचार्या कंचन श्रीवास्तव ने अतिथियों, अभिभावकों और सभी आगंतुकों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।

यह वार्षिक आयोजन केवल सांस्कृतिक प्रस्तुति भर नहीं था, बल्कि विद्यार्थियों, शिक्षकों और अभिभावकों के बीच भावनात्मक जुड़ाव और सहयोग का प्रतीक बन गया। यह आयोजन वास्तव में सूरज की किरणों-सा उज्ज्वल और प्रेरणादायी रहा।

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