एकाउन्ट से उड़ाये गये रूपये साईबर पुलिस की सक्रियता से हुये वापस*
*लोगों की सक्रियता व साईबर सेल की त्वरित कार्यवाही से मिली सफलता*
*साईबर अपराधों से लोगों को बचाने के लिये जागरूकता है जरूरी*
आशीष तिवारी पुलिस अधीक्षक मीरजापुर महोदय के कुशल निर्देशन में जनपद में साइबर अपराधों की रोकथाम एवं उनके निस्तारण हेतु गठित साइबर सेल द्वारा सक्रियता से त्वरित कार्यवाही करते हुए वर्ष 2018 में अब तक विभिन्न घटनाओं में लोगों से एटीएम नम्बर व पासवर्ड पूछकर तथा अन्य प्रकार के प्रलोभन देकर उनके *खातों से उड़ाये गये कुल 648705.00 रूपयों में से 408169.00 रूपये वापस* कराये गये।
वर्ष 2018 में अब तक कुल 14 लोगों द्वारा इस प्रकार के शिकायती प्रार्थना पत्र उनके मोबाइल नंबर पर अज्ञात व्यक्ति द्वारा फोन कर के एटीएम का विवरण पूछते हुए वादी के अकाउंट से रूपये ऑनलाइन निकाल लिए जाने के संबंध में दिया गया था। जिसमें उनके द्वारा दिये गये शिकायती प्रार्थना पत्र के आधार पर साइबर क्राइम सेल में नियुक्त आरक्षी गणेश गौड़ एवं आरक्षी वीरबहादुर मौर्य द्वारा तत्काल कार्रवाई करते हुए वादी के अकाउन्ट से धोखाधड़ी कर निकाले गये *₹ 648705.00 रूपयों में से ₹ 408169.00 रूपये वापस* कराया गया।
*साइबर अपराध होने पर आपकी सक्रियता और त्वरित कार्यवाही दिला सकती है आपके पैसे वापस जानकारी ही बचाव है*
पुलिस अधीक्षक मीरजापुर द्वारा साइबर अपराध में आम जन को होने वाले नुकसान से बचाने अथवा होने वाली हानि को कम से कम करने हेतु आम जन हेतु दिशा-निर्देश निर्गत किये गये हैं। उक्त निर्देशों का पालन कर आम जन साइबर अपराध से होने वाली हानि को कम कर सकते हैं जिससे साइबर अपराधों को रोकने में मदद मिलेगी एवं साइबर अपराधियों के हौसले पस्त होंगे। जनपद मीरजापुर में होने वाले साइबर अपराधों के सम्बन्ध में तत्काल 100 नम्बर अथवा साइबर सेल मीरजापुर में नियुक्त आरक्षी गणेश प्रसाद गोंड मो0नं0-9451082870 पर तत्काल सम्पर्क करें। पुलिस अधीक्षक द्वारा बताया गया कि आम जन को सर्वप्रथम इस सम्बन्ध में प्रायः उनके द्वारा की जाने वाली गलतियों एवं साइबर अपराध के कारणों का ज्ञान होना आवश्यक है, जो निम्नवत् हैं-
*इन गलतियों की वजह से आम नागरिक ऑनलाइन ठगी के हो सकते है शिकार*
ऑनलाइन ठगी के 22 तरीके हैं, जिनसे आम आदमी आसानी से ठगों के झांसे में फंस जाता है और बाद में क्षतिपूर्ति भी ज्यादातर मामलों में नहीं हो पाती है। इसकी मुख्य वजह ठगी करने वाले राशि का उपयोग कर लेते हैं। आरोपी ऑनलाइन मोबाइल रिचार्ज करवाना, डिश टीवी रिचार्ज करवाना, इलेक्ट्रॉनिक सामान की खरीदी करना या अन्य सुविधाओं का लाभ ले लेकर ठगी की राशि खर्च कर देते हैं, इसके बाद पुलिस राशि को वापस नहीं ला सकती है। इसके अलावा बैकों और मोबाइल कंपनियों से सही समय पर जानकारी नहीं मिल पाने के कारण पैसा वापस मिलना मुश्किल हो जाता है। समय से सूचना न मिल पाने के कारण पुलिस को ठगी की राशि रिकवर करने में सफलता नहीं मिल रही है। पुलिस के पास आने वाले अधिकांश मामले इसी तरह के हैं।
-विगत दिनों पीड़ित की जागरूकता एवं सक्रियता तथा साइबर क्राइम सेल द्वारा की गयी त्वरित कार्यवाही के कारण एटीएम की जानकारी मोबाईल से पूछ कर धोखाधड़ी कर आनलाईन 10000 रू0 खाते से निकाल कर वालेट में ट्रान्सफर किये गये पैसे को पीड़ित के खाते में वापस कराया गया।
*साइबर अपराधियों द्वारा अपनाये जाने वाले ठगी/धोखाधड़ी के तरीके*
*1- फर्जी बैंक अधिकारी, फर्जी आयकर अधिकारी, एलआईसी अधिकारी या इंश्योरेंस कंपनी का अधिकारी बनकर एटीएम की गोपनीय जानकारी पूछकर ऑनलाइन ठगी करना।
2- एटीएम कार्ड बदलकर ठगी।
3- फेसबुक फ्रेंड बनकर गिफ्ट देना और उसे छुड़ाने के नाम पर पैसा लेना।
4- नौकरी लगाने के नाम ठगी।
5- सिमकार्ड अपडेट करने के बहाने ठगी।
6- ऑनलाइन शॉपिंग में डिस्काउंट के बहाने ठगी।
7- जेवर चमकाने के नाम पर महिलाओं से ठगी।
8- फर्जी ईमेल के माध्यम से ठगी।
9- डेबिट-क्रेडिट कार्ड रिचार्ज पाइंट से रिवार्ड का झांसा देकर ठगी।
10- मोबाइल मैसेज सर्विस के माध्यम से ठगी।
11- विदेश भेजने के नाम पर ठगी।
12- मेट्रीमोनियल वेबसाइट के माध्यम से संपर्क करके शादी का झांसा देकर पैसे की वसूली।
13- बीमारी, समस्याओं केआनलाइन निराकरण का झांसा देकर ठगी।
14- टीवी में चेहरा पहचानों का विज्ञापन दिखाकर ठगी।
15- मोबाइल टॉवर लगाने के नाम पर ठगी।
*साइबर अपराधियों का शिकार होने के पश्चात आम नागरिकों को त्वरित कार्यवाही क्या करनी चाहिये*
1- ऑनलाइन ठगी का शिकार होते ही तत्काल पुलिस को सूचना दें, इसमें किसी भी प्रकार का विलम्ब ना करें।
2- बैंक जाकर अथवा सम्बन्धित बैंक के कस्टमरकेयर से अपना एटीएम/नेट बैंकिंग बंद कराएं। सम्बन्धित बैंक के कस्टमर केयर का नम्बर आपके एटीएम कार्ड के पीछे तथा पासबुक पर अंकित होता है।
3- बैंक से पी0ओ0एस0/आर0आर0 नंबर और पैसा कहां गया है, इसकी जानकारी लें।
4- बैंक से जो भी जानकारी मिलती है उसे साइबर क्राइम अधिकारी/सम्बन्धित पुलिस अधिकारी को दें।
5- ठगी की राशि किसी वॉलेट पर होगी, तो उसके वापस होने की संभावना अधिक होगी।
6- ठगी के बाद साइबर क्राइम अधिकारी/सम्बन्धित पुलिस अधिकारी को सूचना देने और बैंक से जानकारी लेने में जितनी देरी होगी, उतना ही रिकवरी की गुंजाइश कम होगी।
*आम नागरिकों हेतु ये जानकारी रखना बहुत जरूरी है*
1- बैंक द्वारा किसी भी ग्राहक को फोन करके किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं मांगी जाती है जैसे- एटीएम का विवरण, पासवर्ड, खाते की जानकारी इत्यादि। अतः ऐसे फोन काल्स पर न तो ध्यान दें न ही कोई जानकारी दें।
2- इसी प्रकार फोन से किसी अज्ञात व्यक्ति को अपनी कोई भी गोपनीय जानकारी न दें।
*साईबर अपराधों के विषय में जानकारी व जागरूकता ही बचाव है*