मिर्जापुर के रायपुर पोख्ता में जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणानंद तीर्थ महाराज के सानिध्य में चल रहे श्री मद्भागवत कथा यज्ञ में उपस्थित भक्तों को संबोधित करते हुए बताए कि=
*भगवान की विभिन्न कथाओं का सार श्रीमद् भागवत मोक्ष दायिनी है।।*
इसके श्रवण से परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई और कलियुग में आज भी इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखने को मिलते हैं। श्रीमदभागवत कथा सुनने से प्राणी को मुक्ति प्राप्त होती है ।।
इस पुराण में रस भाव की भक्ति का निरूपण भी किया गया है।।
*महाराज ने बताया कि*
कथा की सार्थकता तब ही सिद्ध होती है जब इसे हम अपने जीवन व व्यवहार में धारण कर निरंतर हरि स्मरण करते हैं। अपने जीवन को आनंदमय, मंगलमय बनाकर अपना आत्म कल्याण करें। अन्यथा यह कथा केवल मनोरंजन, कानों के रस तक ही सीमित रह जाएगी।।
भागवत कथा से मन का शुद्धिकरण होता है। इससे संशय दूर होता है और शांति व मुक्ति मिलती है।।
भागवत कथा सुनने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
कथा के प्रताप से ही राजा परीक्षित को सातवें दिन ही मोक्ष की मिला था।।
भागवत कथा भक्त और भगवान की कथा है। भक्ति मार्ग और उससे मिलने वाले पुण्य फल मनुष्य को धर्म, आस्था और आध्यात्मिकता से जोड़ते हैं।
*कथा के पूर्व महाराज का पादुका पूजन* हरिश्चंद्र शुक्ला, रामसागर शुक्ल,प्रेमसागर शुक्ल, शारदा शुक्ल,मनीचन्द्र शुक्ल तथा उपस्थित भक्तों द्वारा सम्पन्न हुआ।
श्रीमद् भागवत कथा सुनने के बाद जीवन में आत्मसात करने से ही होता है लाभ
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