मिर्जापुर जिला अधिकारी दिव्या मित्तल ना सिर्फ सरकार की योजनाओं को जन-जन तक निष्ठा के साथ पहुंचाने और सरकारी योजनाओं को जमीन पर उतारने का काम कर रही हैं बल्कि स्थानीय संस्कृति परंपराओं और मान्यताओं को मजबूती से लोकल फॉर वोकल के तर्ज पर प्रचारित प्रसारित भी कर रही हैं ।
चुनार किले में तीन दिवसीय रंगारंग सांस्कृतिक आध्यात्मिक कार्यक्रम आयोजित कराकर चुनार को न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि समूचे भारतवर्ष में उसकी महत्ता को स्थापित करने का एक सफल प्रयास करती दिखाई भी दे रही है।
स्थानीय लोगों के मुताबिक मिर्जापुर में स्थित चुनार का किला कई लोगों के लिए अचंभित रहस्य और रोमांच से भरा हुआ है यहां की पहचान पौराणिक गाथा विरासत व दंत कथाओं को आज हर कोई महसूस कर रहा है ।
मिर्जापुर की पहचान चुनार की शान उस वक्त लोगों की जुबान पर नजरों पर मस्तिष्क पर चढ़ता दिखाई दिया जब जिलाधिकारी ने चुनार किला पर विशेष कार्यक्रम आयोजित करा कर उसके महत्ता को राष्ट्रीय पटल पर रखने का प्रयास किया।
उसी के माध्यम से स्थानीय कलाकारों को प्रोत्साहन मिले इसके लिए भी कई कार्यक्रम आयोजित कराए जा रहे हैं ।
जिलाधिकारी का मानना है कि जनपद मिर्जापुर में पर्यटन की असीम संभावना है आवश्यकता है प्रचार प्रसार रखरखाव और स्थानों पर लोगों का प्रेम निरंतर बना रहे ।
जिला अधिकारी के मुताबिक जनपद मिर्जापुर अत्यंत महत्वपूर्ण है उन्होंने अहरोरा में बनी लकड़ी के खिलौने की भी चर्चा की तो वही चुनार के चीनी मिट्टी से बने बर्तन मूर्तियों की भी चर्चा की मिर्जापुर में पीतल उद्योग कारपेट को भी याद करते हुए इसके विकास पर जोर देने की बात कही है।
जिलाधिकारी मिर्जापुर दिव्या मित्तल ने सावन के महीने के महत्व पर विशेष प्रकाश डालते हुए झूला झूलने की परंपरा का भी निर्वाह किया जिससे वहां मौजूद झूला व्यवसाय को भी
प्रोत्साहन मिलने की संभावना प्रबल हो गई है।