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नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू होने से अल्पसंख्यकों का वास्तविक पीड़ा होगी दूर- महबूब बेग

मिर्जापुर ,राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अल्पसंख्यक मोर्चा के महबूब बेग ने वार्ता के दौरान बताया कि हिंदुस्तान के अंदर नागरिकता संशोधन अधिनियम की सख्त आवश्यकता महसूस की जा रही थी। केंद्र सरकार ने इस अधिनियम को पारित कराकर अल्पसंख्यकों के हित के लिए कार्य किया है ।देश में रह रहे कुछ ऐसे लोग जो अल्पसंख्यकों को इस अधिनियम को लेकर गुमराह करने का काम कर रहे हैं उनको ऐसा नहीं करना चाहिए ।
अधिनियम की वास्तविकता और सच्चाई जानने के बाद समस्त अल्पसंख्यकों में इस अधिनियम को लेकर काफी उत्साह दिखाई दे रहा है।

प्रधानमंत्री जन कल्याणकारी योजना जागरूकता अभियान के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अल्पसंख्यक मोर्चा के महबूब बेग ने कहा कि जिन भारतीय मुसलमानों ने कभी पलायन नहीं किया है और पीढ़ियों से यहीं रह रहे हैं, उन्हें चिंता करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि सीएए ने उनकी नागरिकता को प्रभावित करने के लिए कोई प्रावधान नहीं किया है और इसका वर्तमान 18 करोड़ भारतीय मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है, उनके पास अपने हिंदू समकक्षों की तरह ही समान अधिकार हैं। इस कानून के बाद किसी भी भारतीय नागरिक को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए कोई दस्तावेज पेश करने के लिए नहीं कहा जाएगा।
नागरिकता अधिनियम, 1955 की तरह, सीएए वैध दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश करने वाले अवैध प्रवासी को एक विदेशी के रूप में परिभाषित करता है।
इन तीन मुस्लिम देशों में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार के कारण पूरी दुनिया में इस्लाम का नाम बुरी तरह खराब हुआ। हालाँकि, इस्लाम, एक शांतिपूर्ण धर्म होने के नाते, कभी भी धार्मिक आधार पर घृणा/हिंसा/किसी उत्पीड़न का प्रचार या सुझाव नहीं देता है। जुल्म के प्रति संवेदना और मुआवज़ा दर्शाने वाला यह कानून इस्लाम को जुल्म के नाम पर कलंकित होने से बचाता है।
नागरिकता अधिनियम की धारा 6 के तहत दुनिया में कहीं भी मुसलमानों के लिए भारतीय नागरिकता प्राप्त करने पर कोई रोक नहीं है, जो प्राकृतिककरण द्वारा नागरिकता से संबंधित है विषय पर बात करता है।

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