मीरजापुर ,वक्फ संशोधन बिल का स्वागत करते हुए मिर्जापुर के वरिष्ठ अधिवक्ता हाजी अमानुल्लाह अंसारी सीनियर सदस्य उत्तर प्रदेश स्टेट हज कमेटी ने प्रेस वार्ता के दौरान कहां की सरकार के द्वारा वक्फ संशोधन बिल का कानूनी मान्यता करा लिया गया है जो सराहनीय एवं अत्यंत प्रशंसनीय है। अपने बेबाक अंदाज और तेजतर्रार तरीके से बोलने में मशहूर हाजी अमानुल्लाह अंसारी सीनियर सदस्य उत्तर प्रदेश स्टेट हज कमेटी ने कहा कि वक्फ संशोधन बिल पर राजनीति करने वाले या इसका विरोध करने वाले वह लोग हैं जो वक्फ संपत्ति पर नाजायज तौर से कब्जा बनाकर आनंदित होते है।
वरिष्ठ अधिवक्ता अमानुल्लाह अंसारी ने कहा कि स्पष्ट करता चलूं की वक्फ दो प्रकार के होते हैं एक वक्फ अल्लाह और एक वक्फ अलल औलाद होता है। वक्फ अलल औलाद जो होता है उस संपत्ति का देखरेख प्रबंधन व्यवस्था वंशानुगत उनके वारिसान करते रहेंगे और दूसरा जो वक्फ अल्लाह जो होता है वह अल्लाह के हक में वक्फ कर दिया जाता है समर्पित कर दिया जाता है और उसे क्षेत्र के सर्वसाधारण लोग
उसके मालिक हो जाते हैं जो देखरेख करते है। वक्फ करने का जो उनका उद्देश्य होता है कि समाज में जो एकदम से आखिरी पायदान पर है गिरे पड़े हैं परेशान हाल हैं उदाहरण स्वरूप कोई यतीम बेवा या निर्धन बच्चे जो पढ़ना चाहते हैं उनको लाभ पहुंचाने की दृष्टि से संपत्ति वक्फ किया जाता है ।किंतु आज स्थितियां यह है कि वक्फ के संपत्ति पर जो उसका प्रबंधक है चाहे वह वक्फ अल्लाह हो या वक्फ ऑल औलाद वह लोग ठेका मार करके अजगर सांप की तरह कुंडली जमाए बैठे हैं वह उसे प्रॉपर्टी को डिस्पोज ऑफ कर दे रहे हैं उसका दुरुप्रयोग कर रहे हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए पत्रकार वार्ता के दौरान कहां की
जहां पर आप मेरा बयान ले रहे हैं यह इमामबाड़ा मार्ग है मेन रोड विंध्याचल मार्ग से लेकर नटवा मार्ग तक इतनी दुकान हैं 65000 प्रति माह आमदनी आता है इनको किसी निर्धन गरीब यतीम के हक में उसके हित में ₹1 नहीं लगाया जाता अब जब इस पर कंट्रोल सीधे-सीधे प्रदेश की सरकारों केंद्र की सरकार का होगा तो इनका जो है जुगाड़ मुर्गा मछली खाने पीने का बंद होगा इसीलिए वक्त संशोधन बिल का विरोध करने वाले चिल पो मचा रहे हैं।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि वारसलीगंज में एक मस्जिद है जिससे गंगाबाई की मस्जिद कहते हैं गंगाबाई एक हिंदू महिला थी उन्होंने इस मस्जिद का निर्माण कराया था। गंगाबाई का उद्देश्य था कि उस दौर में जब होटल वगैरा नहीं हुआ करते थे मिर्जापुर में धर्मशाला और सराय नहीं हुआ करता था तो उनका उद्देश्य था कि जो यात्री आए मुसाफिर आए यहां पर एक रात के लिए दो या तीन चार रात के लिए भी वहां रुक सकते हैं।मगर आज वहां पर वह पूरी की पूरी संपत्ति पर अपना व्यक्तिगत आवास बनाकर लोग कब्जा जमाए हैं। और उसमें जो दुकाने हैं उसकी आमदनी वह ले रहे हैं यह वक्फ अमेंडमेंट बिल लोकसभा में लाया गया जो दोनों सदनों से बहुमत से पास हो गया है ।
अमानुल्लाह अंसारी ने कहा कि पहले वक्फ के संपत्ति के बाबत किसी भी प्रकार का विवाद होता था तो उसकी सुनवाई जिला में सिविल इंजीनियर डिवीजन का अधिकार होता था अथवा वक्फ ट्रिब्यूनल स्टेट लेवल पर होता है वह लखनऊ में वहां होता था और वह ट्रिब्यूनल का जो डिसीजन होता था वह अंतिम होता था इस संशोधन से वक्फ ट्रिब्यूनल के डिसीजन को हम जो है अपील रिट रिवीजन माननीय उच्च न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय में कर सकते हैं ।एक फायदा यह हुआ। आज जो बेशुमार प्रॉपर्टी है जिस पर सिर्फ मुसलमान का ही कब्जा है जबकि वक्फ करने वाले का मकसद हिंदू मुसलमान से नहीं था उनकी मनसा जनहित से जुड़ा हुआ था ।
पहले वक्फ की संपत्ति पर चाहे मुसलमान हो चाहे हिंदू हो कोई किसी व्यक्ति को लोग बसा दिए जाते थे और वह बस गया तो वंशानुगत जीवन भर उसपर कब्जा बना रहा था ।दो रुपए चार रुपए महीना या साल उसका किराया देता था अब यह है कि अगर वक्फ संपत्ति आईडेंटिफाई हो गया तो उसका कंट्रोलर डीएम रहेगा और उसे प्रॉपर जितनी आमदनी होनी चाहिए उतना आमदनी का वह प्रयास करेगा उनसे अगर ₹2 ₹5 पर है और उसकी मार्केट वैल्यू ₹500 बनता है तो उसे हिसाब से उनसे रेंट लिया जाएगा अन्यथा उनसे खाली कराया जाएगा । अमानुल्लाह अंसारी ने कहा कि जो कमजोर वर्ग मुस्लिम समुदाय में लोग हैं या जो वह उससे लाभ नहीं ले पा रहे थे अब उनके लिए एक बेहतर अवसर है । जब केंद्र की सरकार ने एक 125 सीआरपीसी के तहत किसी मुस्लिम पत्नी को भरण पोषण देने का प्रोविजन बना तब भी इस समुदाय विशेष के लोगों ने हल्का गुल्ला किया ।उसमें मनसा यह था कि वक्फ के संपत्ति से जो आमदनी हैं अगर उसका हस्बैंड इस योग्य नहीं है देने लायक नहीं है या धांधली करता है या पलायित कर जाता है तो वक्फ की प्रॉपर्टी से उनको दिया जाएगा लेकिन जब वक्फ प्रॉपर्टी से आमदनी ही नहीं है पिक्चर में आ ही नहीं रहा है क्या खाता, बही है बैलेंस डेबिट है कि क्रेडिट है तो उन बेचारियों को क्या मिलेगा। वक्फ बोर्ड में जो हिंदुओं की या गैर मुसलमान की जो एंट्री हो रही है
उससे किसी भी प्रकार की समस्या उत्पन्न होने वाली नहीं है क्योंकि भारत मुल्क में जो मुसलमान हैं वह भारत राष्ट्र को स्वीकार किया । हमारे दादा पुरखा ने भारत राष्ट्र को स्वीकार किया तो यहां का जो है लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत प्रधानमंत्री अगर हिंदू हो रहा है मुख्यमंत्री हिंदू हो रहा है वित्त मंत्री है जो भी पोर्टफोलियो है उस पर हिंदू हो रहा है तो हिंदू और मुसलमान की तो बातें पैदा करना एकदम गैर मुनासिब बात है ।अगर एडमिनिस्ट्रेटर के तौर पर स्थानीय डीएम हो जाता है या कोई और सदस्य आते ही है तो इसमें दिक्कत क्या है वह अपना अपने बेटे के लिए तो बना नहीं लगा वह भी तो काम करेगा अंडर लॉ एंड प्रोविजन ।
अमानुल्लाह अंसारी ने कहा कि कई वर्षों तक तमाम राजनीतिक पार्टियों ने मुसलमान को वोट बैंक समझकर उनको भ्रम में रखा । भाजपा के अलावा जितनी राजनीतिक पार्टियों है उनको दुकानदारी बंद होने का खतरा सता रहा है इसलिए समाजवादी पार्टी कांग्रेस व अन्य भाजपा विरोधी पार्टियों मुसलमान को वक्फ संशोधन बिल पर गुमराह कर रही है।