मिर्जापुर के 25 गांवो को मुकदमा मुक्त बनाया – डिस्ट्रिक्ट जज

स्वयंसेवको ने संघ शताब्दी दीपोत्सव/परिवार स्नेह मिलन का किया आयोजन

मीरजापुर।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मिर्ज़ापुर की ओर से रविवार को नगर के अनगढ स्थित भोला गार्डन में संघ शताब्दी दीपोत्सव/परिवार स्नेह मिलन का आयोजन किया गया, जिसका शुभारंभ भारत माता आदिसरसंघचालक डॉक्टर हेडगेवार एवं द्वितीय सरसंघचालक गुरुजी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर मंचासीन मुख्य वक्ता प्रज्ञा प्रवाह केंद्रीय टोली सदस्य एवं वरिष्ठ प्रचारक रामाशीष , प्रांत संघचालक अंगराज , कार्यक्रम अध्यक्ष एवं जनपद न्यायाधीश अरविंद मिश्र द्वितीय, राष्ट्र सेविका समिति की प्रांत कार्यवाहिका माया पांडे एवं नगर संघचालक अशोक सोनी द्वारा संयुक्त रुप से किया गया।
राष्ट्र सेविका समिति की बहनो द्वारा एकल गीत ‘वसुंधरा परिवार हमारा’ गायन किया गया।
मुख्य वक्ता प्रज्ञा प्रवाह के केंद्रीय टोली सदस्य रामाशीष ने कहाकि अपनी संस्कृति सत, चित, आनंद और उद्धार मूलक है और विश्व रूप में देखा गया है। भारतीय चिंतन मे हम अलग-अलग नहीं ‘आत्मदृष्टया त्वमेंवाहम’ अर्थात आत्मा की दृष्टि से सभी एक हैं। तभी तो दुनिया कहने लगी है कि पश्चिम को बचाना चाहता है, तो भारत के परिवार की व्यवस्था से चलना होगा। वहा परिवार में क्लब आधारित जीवन, जबकि यहा परिवार समाज की शक्ति है। भारतीय संस्कृति में स्त्री पुरुष के सात जन्म के संबंध की कल्पना हुई है। अमेरिका के 15 विश्वविद्यालय में मैं गया। वहां एक मिनी सट्टा विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र के प्राध्यापको ने सर्वे में पाया कि छुट्टी होने के बाद वहां के भारतीय बच्चे तुरंत घर जाते हैं और अमेरिकी नहीं जाना चाहते। रिसर्च मे कारण आया कि भारतीय बच्चों के माता पिता प्रतीक्षा करते रहते हैं, लेकिन अमेरिकी बच्चों में इस बात की फीयर साइकोसिस होती है कि जब मैं घर पहुंचूंगा, तो मेरे मां पिता दोनों साथ मिलेंगे भी कि नहीं। कही पिता किसी दूसरे के साथ और माता किसी दूसरे के साथ तो नही मिलेगी। मनुष्य कहीं का भी हो, उसे मन में ममता प्यार और पहचान चाहिए, लेकिन जब यह नहीं मिलता तो स्कूल में भी भयानक अपराध होते है। अमेरकी छात्र द्वारा बंदूक निकालकर 27 लोगों की हत्या हुई।
कहाकि स्वामी विवेकानंद, रामतीर्थ भी पश्चिम में गए और अपनी संस्कृति से प्रभावित इतना किया की भगिनी निवेदिता, अराविंद की श्रीमा, यही नहीं बीएचयू में एनी बेसेंट ने यहां की संस्कृति व सभ्यता को अंगीकार किया, लेकिन आज हम अपनी ही सभ्यता व संस्कृति को छोड़ने जा रहे हैं।
कहाकि विदुषी महिलाओं का भारत में अभाव नहीं था, याज्ञवल्क्य द्वारा अपनी संपत्ति कात्यायनी व मैत्रेई में आधा-आधा बाटकर जंगल में जाने की बात पर मैंत्रेई ने कहाकि जंगल में क्या प्राप्त करेंगे। हमें यहक संपत्ति नहीं, बल्कि जंगल में प्राप्त होने वाली संपत्ति चाहिए। कहने का मतलब है कि महिलाएं बुद्धिमता में पुरुषों से पीछे कभी नहीं रही। ‘असतो मा सदगमय’ की दृष्टा ब्रह्मवादिनी मैत्रेई ही है।
इसलिए भारतीय दृष्टि में पुरुष रथी है, तो स्त्री सारथी है और इसे विदेश के संविधान से नहीं चलना है। हमें दुनिया के नकल की नहीं, बल्कि गृहस्थ के साथ-साथ सन्यस्थ भाव में रहने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहाकि इस देश की महिलाओं को सीता-अनुसूया का संवाद और पुरुषों को वशिष्ठ-राम का संवाद सावित्री के नाम पर पढ़ना चाहिए। ऐसे भारतीय परिवार को दुनिया की कोई शक्ति तोड़ नहीं सकती है। भारतीय परिवार में पति-पत्नी के संबंध को परिभाषित करने के लिए कुंती, मंदोदरी, सीता, तारा, द्रौपदी को पढ़ना होगा। महात्मा गांधी ने भी कहा था कि देश में सीता का चरित्र बचाकर रखो इस देश का कोई कुछ भी नहीं कर सकता अर्थात मातृशक्तियों को मां और बहन की दृष्टि से ही देखना। ऋग्वेद में भी आता है कि मोक्ष तब तक नहीं मिलता, जब तक आत्मा का नारी के रूप में जन्म ना हो। महिला पुरुष से जल्दी मुक्त होती है। इसलिए शिक्षा समाज धर्म संस्कृति के लिए वाङ्ममय में चलो।
मोहन भागवत जी ने एक बार बयान दिया कि ‘माता बहनों की प्रतिष्ठा सुरक्षित नहीं’ यह घटनाएं इंडिया में घटती हैं, भारत में नहीं क्योंकि इंडिया पाश्चात्य और भारत संस्कृति है। तभी तो पाश्चात्य देशों में माता को छोड़ सभी भोग्य और अपने भारत में पत्नी को छोड़ सभी को मां-बहन का दर्जा यह संस्कृति देती है। यदि हमारा समाज दोहरी दृष्टि को छोड़कर बहू और बेटी दोनों को सम देखें, तो अदालत में जाने की जरूरत ही नहीं होगी और परिवार न्यायालय भी वीरान होगे।
वरिष्ठ प्रचारक ने कहाकि भोजन, भजन, चर्चा परिवार के साथ हो, तो वह परिवार आदर्श परिवार नहीं तो दरार। भ्रमण के समय भी दृष्टि तीर्थ की हो, टूरिस्ट की ना हो बच्चों को अपनी संस्कृति और सभ्यता से जुड़े तीर्थ का अवलोकन करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि मेरे अमेरिका यात्रा के दौरान वहां की डॉक्टर हर्षिता जिनके 7000 मरीजों में से 700 अमेरिकी मरीज और उनमें से साढे तीन सौ आत के कैंसर के रोगी है। यह सभी रोग गलत खानपान और जीवन शैली से बढ़ रहे हैं, इसलिए हम सभी का वेश भूषा, भाषा, भोजन, गायन, संस्कृति, जीवन सबको स्वदेशी बनाने की जरूरत है। ट्रिपल पी के तहत प्लास्टिक-पानी बचाने और पेड़ लगाने की बात मोहन भागवत जी कहते हैं। इसके लिए देश में जागृति की जरूरत है।
रामाशीष ने कहा कि स्वामी विवेकानंद केरल गए, तो उन्होंने कहाकि केरल पागलों की जगह है क्योंकि यहां तो ‘टच मी नाट’ मेरा धर्म हो गया है। समाज की क्षति हो गई है और शायद इन्हीं कारणो से हिंदू समाज को घटाने का प्रयास करते हुए धर्मांतरण के कुत्सित प्रयास किए जा रहे हैं। ऐसे प्रयासों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए समस्त हिंदू समाज को आवश्यकता है कि अपने आसपास के सभी घर परिवारों को शादी विवाह, होली, दिवाली पर अपने घर में अवश्य आमंत्रित किया जाए और उनको सम्मान दिया जाय।
उन्होंने कहाकि देशवासियो दुनिया की नकल मत करिए, कोई मजहब नहीं जहां स्त्री पुरुष को देवी देवता के रूप में पूजनीय देखा जाता हो। इसलिए कर्तव्य धर्म का पालन ही सूत्र है। स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि देश की प्राण आत्मा कर्म है। ‘गवर्नमेंट इस कम ऐंड गो’ हम सभी को धर्म को पकड़ कर रखना है।
इसके पूर्व अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में जनपद न्यायाधीश अरविंद मिश्र जी द्वितीय ने कहाकि व्यक्ति, परिवार और समाज के अंदर बदलाव के लिए नीचले स्तर से काम करने की सोच के साथ आरएसएस प्रयास कर रहा है। परिवार एवं उसके सदस्य कैसे अच्छे रहे और उसके कारण समाज और देश कैसे अच्छा रहे इस पर कार्य हो, क्योंकि देश समाज अच्छा तब होगा, जब विवाद समाधान की सही रूपरेखा हो। विवाद पैदा होना स्वाभाविक है, लेकिन समाधान की अच्छी व्यवस्था जरूरी है। अधिकार कर्तव्य ड्यूटी सबका निर्वहन आवश्यक है। आज एक्सटेंडेड फैमिली यानि मेरे फला का फला का दौर है। संघ परिवार निजता में वसुधैव कुटुंबकम की बात करता है और विश्व को परिवार मानता हैं, लेकिन आज भारतीय संस्कारों में पाश्चात्य की एक्सटेंडेड फेमिली का दृश्य दिखाई पड़ रही है।
उन्होंने कहा कि विवाद कैंसर जैसी बीमारी और जज भी डॉक्टर होते हैं। बीमारी का इलाज करते हैं अहंकार प्रतिशोध ईर्ष्या जलन लालच आदि का और बिना मशीन लगाए समाधान करते हैं। यह छोटे-छोटे स्टेज से शुरू होती है। यदि शुरू में ही इसका इलाज हो जाए, तो वहीं समाप्त हो जाए। लेकिन गलत व्यवहार के कारण यह बढ़ती गई। प्राइमरी स्टेज मे ही इलाज के लिए व्यवस्था हो इसके लिए प्रबुद्ध जन के मध्यस्थ केन्द्र बने। सनातन शिक्षा का चिंतन कर्तव्य बताता है मध्यस्थता केंद्र में यदि बात हो जाए, निराकरण हो जाए। तो विवाद उत्पन्न न हो। कहा कि महिला पुरुष को एक दूसरे के भाव को समझना होगा और उसे स्वीकार करते हुए पति-पत्नी के रिश्ते को पुनः परिभाषित करना होगा।
उन्होंने कहाकि मुझे एक साल हो गया। मिर्जापुर में सुलझेगा गांव, तो बढ़ेगा गांव के अंतर्गत 25 गांव को मुकदमा मुक्त बनाया गया और वहां के प्रधानों को प्रशंसा पत्र भी दिया गया। इसके साथ ही राजगढ़ और ड्रमण्डगंज मे नवीन प्रयोग करते हुए लोक अदालतें लगाकर मुकदमे कम किए गए। गांव में लीगल एंड क्लिनिक हो रहा है। इसके साथ ही साथ प्री इलिगेशन के माध्यम से समाधान हो रहा है, ताकि मुकदमे की नौबत ही न आए।
उपरांत संघ प्रार्थना व घर घर संपर्क अभियान के पुस्तक विमोचन एवं भारत माता की संगीतमय आरती के बाद परिवार सहभोज के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से भारतीय किसान संघ के प्रांत संगठन मंत्री रामचेला, विभाग संघचालक तिलकधारी, सह विभाग संघचालक धर्मराज, विभाग कार्यवाहक सच्चिदानंद, विभाग कार्यवाहिका संध्या, राज्य महिला आयोग की सदस्य नीलम प्रभात, जिला संघचालक शरद चंद, जिला कार्यवाह परविंदर, जिला प्रचारक रजत प्रताप, सह जिला कार्यवाही नीरज, विभाग संपर्क प्रमुख केशव, विभाग शारीरिक प्रमुख सुनील, सह विभाग बौद्धिक प्रमुख संतोष, नगर प्रचारक अंजनी, नगर कार्यवाह लखन, बौद्धिक प्रमुख विमलेश, शारीरिक प्रमुख अखिलेश, व्यवस्था प्रमुख प्रदीप, विरेन्द्र, इन्द्रजीत, रामकृष्ण, बालाजी प्रदीप, मनोज जायसवाल, नितिन विश्वकर्मा, श्याम जी, सहित शाखा, बस्ती, नगर, जिला, विभाग के दायित्वधारी स्वयंसेवक मौजूद रहे। मंच परिचय/संचालन नगर कार्यवाह लखन ने किया।