पर्वत पर लगातार खनन से जनपद खो सकता है अपनी पहचान

विंध्य पर्वत पर अवैध खनन से पर्यावरण और विरासत पर मंडरा रहा संकट
मिर्जापुर।
उत्तर प्रदेश के जनपद मिर्जापुर में विंध्य पर्वत श्रृंखला पर वैध और अवैध दोनों प्रकार का खनन तेज़ी से जारी है। अहरौरा, अदलहाट, चुनार और विंध्याचल थाना क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर पत्थरों का अवैध खनन किए जाने के आरोप सामने आ रहे हैं। खनन कार्यों में विस्फोटकों के उपयोग से जहां पहाड़ों का स्वरूप तेजी से बदल रहा है, वहीं पर्यावरणीय संतुलन पर भी गहरा असर पड़ रहा है।
सूत्रों के अनुसार, कई स्थानों पर वैध लीज़ के माध्यम से भी खनन कराया जा रहा है, लेकिन नियमों और सीमाओं की अनदेखी के कारण यह खनन भी प्रकृति के लिए घातक साबित हो रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह का अनियंत्रित खनन न केवल प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ रहा है, बल्कि मिर्जापुर की पहचान माने जाने वाले विंध्य क्षेत्र के पहाड़ों के अस्तित्व पर भी गहरा संकट बनकर उभर रहा है।
लगातार हो रहे खनन के चलते कई इलाकों में पहाड़ अपने मूल स्वरूप को खो चुके हैं। इसका सीधा असर वन्य जीव-जंतुओं के प्राकृतिक आवास पर पड़ रहा है, साथ ही विंध्य क्षेत्र में पाई जाने वाली अनेक दुर्लभ औषधीय वनस्पतियों के नष्ट होने की आशंका भी जताई जा रही है।
इतना ही नहीं, विंध्य पर्वत पर स्थित ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरें भी इस खनन की चपेट में आने के खतरे से जूझ रही हैं। यदि इसी तरह खनन गतिविधियां चलती रहीं, तो आने वाले समय में यह क्षति अपूरणीय हो सकती है।
जर्नलिस्ट वेलफेयर सोसाइटी ने इस गंभीर स्थिति पर चिंता जताते हुए बिना सीमांकन, नियमों की अनदेखी और पर्यावरणीय मानकों को ताक पर रखकर किए जा रहे पर्वतीय खनन पर तत्काल रोक लगाने का सुझाव दिया है। संगठन ने मांग की है कि खनन से पूर्व पर्यावरणीय प्रभावों का आकलन कर सख्त निगरानी व्यवस्था लागू की जाए।
अब यह देखना अहम होगा कि प्रशासन और संबंधित विभाग इस ओर कब तक ठोस कदम उठाते हैं। यदि समय रहते प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई, तो विंध्य पर्वत की प्राकृतिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान गंभीर संकट में पड़ सकती है।

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