हिंदुस्तान के कई राज्यों में पीएफआई के दफ्तरों पर छापे को लेकर अब कई तरीके की बातें हो रही है। लेकिन पहले के भारत में और आज के भारत में जो अंतर आ चुका है वह अब आम जनमानस भी महसूस होने लगा है।
उपरोक्त बातें जर्नलिस्ट वेलफेयर सोसाइटी के पदाधिकारियों के द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी गई है ।जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक देश के जाने-माने पत्रकारों का संगठन जर्नलिस्ट वेलफेयर सोसाइटी के मुताबिक राष्ट्रहित सर्वोपरि है, देश के अंदर सरकार के विभिन्न एजेंसियों के द्वारा कई ऐसे खुलासे किए गए हैं जो यह दर्शाते हैं की राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में संलिप्त पीएफआई जैसे संगठन को और पहले प्रतिबंधित करना चाहिए था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी के द्वारा विगत कुछ वर्षों में पीएफआई की गतिविधियों को और उसकी संलिप्तता को सार्वजनिक करने का काम किया है।
समाज विरोधी और देश विरोधी गतिविधि में चाहे कोई व्यक्ति की संलिप्तता हो या संगठन की संलिप्तता हो, हर दशा में ऐसी गतिविधियों को प्रतिबंधित करते हुए सख्त कार्रवाई की मांग अब जोर पकड़ने लगा है।
प्रेस विज्ञप्ति में इस बात का भी जिक्र किया गया है की राजनीतिक हानि लाभ दरकिनार करते हुए सभी को राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानते हुए सरकार के द्वारा निर्णय के समर्थन में अपनी एकता अखंडता दिखानी ही चाहिए।
राजनीतिक दृष्टिकोण से किसी को सरकारी एजेंसियों के द्वारा राष्ट्र हित में किए जा रहे कार्यों में खोट दिखे तो राष्ट्र के लिए शुभ संकेत नहीं हो सकता ।क्योंकि राजनीति के लिए कई ऐसे क्षेत्र हैं जिस पर खुलकर राजनीति की जानी चाहिए ,जैसे बेरोजगारी के मुद्दे पर विकास के मुद्दे पर स्वास्थ्य के मुद्दे पर लाइफस्टाइल के मुद्दे पर वातावरण के मुद्दे पर इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे मुद्दों पर समस्त पॉलीटिकल पार्टीज को सरकार की घेराबंदी करनी चाहिए ।
लेकिन जब बात इंसानियत की हो राष्ट्र की हो देश की एकता अखंडता की हो देश के संविधान की हो तो इस तरीके के मामलों में राजनीत करने की किसी को कोई जगह नहीं मिलनी चाहिए।
पीएफआई के खिलाफ सरकारी कार्रवाई के बाद देश में अमन भाईचारा होगा और बेहतर – जेडब्ल्यूएस
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