खरहरा ग्राम सभा में जिलाधिकारी ने जलकुंभी हटाने के क्रम में जिस तरीके से स्वयं तालाब में उतरें, उसको देख कर सिर्फ स्थानीय लोग ही नहीं देशभर के लोगों ने जिलाधिकारी के इस कार्य की सराहना की। सर्व विदित है की जिलाधिकारी सर्व सुख संपन्न पद होने के साथ-साथ तमाम शक्तियां इस पद में समाहित है। जहां उनके एक आदेश से से हजारों ,हजार लेबर तमाम कर्मचारी व स्वयंसेवी संगठन समर्पण भाव से कार्य में लग जाते हो वहीं खुद ऐसे तालाब में उतरना जहां खतरे से खाली नहीं था विगत 15 वर्षों से उस तालाब की सफाई नहीं हुई थी बरसात के दिनों में विषैले जीव जंतु का काफी प्रबल खतरा बना था, उन सब को दरकिनार करते हुए आखिर जिलाधिकारी मिर्जापुर अनुराग पटेल ने घंटों अथक परिश्रम कर कर लोगों के अंदर जन जागरूकता के प्रति जबरदस्त इच्छा शक्ति पैदा तो कर ही दिया । लोगों ने बताया कि ऐसे खतरनाक तालाब में बरसात के दिनों में खुद उतरकर सफाई अभियान में लग जाना और सफाई के दौरान अपने गिरने की चोट लगने की भी परवाह न करते हुए पूरी ऊर्जा के साथ और उत्साहित होकर इस अभियान में उनके समर्पण को जब लोगों ने देखा तो लोगों का कहना था की जिलाधिकारी सिर्फ आदेश व निर्णय नहीं लेते बल्कि शारीरिक दक्षता और क्षमता का भी इस्तेमाल आम जनमानस की तरह करने से गुरेज नहीं करते।जिसने जहां पर भी देखा जैसा भी सुना लोगों के अंदर सफाई के प्रति और अपने जिलाधिकारी के प्रति जो भाव उत्पन्न हुआ सभी की जुबान से जिलाधिकारी के प्रति प्रेम पैदा हुआ लोगों ने सलूट किया । आमतौर पर जिलाधिकारी का कार्यक्रम संदेशआत्मक व प्रतीकात्मक ही होता है। किसी भी अभियान की शुरुआत में प्रायः सांकेतिक कार्यक्रम करके अभियान शुरू कर दिया जाता है लेकिन मिर्जापुर जिला अधिकारी ने अभियान की शुरुआत सांकेतिक नहीं जमीनी कार्रवाई करके शुरू किया जिससे लोगों ने अंदाजा लगाया है कि जनपद के तालाबों से अब तो जल कुंभियो का अतिक्रमण हट के रहेगा। स्थानीय लोगों ने कयास लगाया था कि जल संचय के अभियान के तहत जिला अधिकारी के द्वारा अपने मातहतों को निर्देश देने के लिए था , लेकिन अभियान की सफलता के लिए अभियान में जिलाधिकारी का समर्पण भाव से सम्मिलित होकर जब कार्य किए गए तो अभियान अपने मुकाम तक पहुंचेगी यह लोगों का विश्वास जागृत हुआ। जिलाधिकारी की कार्यशैली के पश्चात जनपद के तमाम अधिकारियों ने भी अपने तौर-तरीकों में बदलाव लाना शुरू कर दिया है ।यह बात सच है जिलाधिकारी के जैसा समर्पण जो की लगातार 4 घंटे तक कठिन परिश्रम शायद कोई अन्य अधिकारी कर पावे जहां इसकी चर्चा जोरों पर है तो वही जिलाधिकारी के इस कार्य का अनुसरण अगर 50 परसेंट भी अन्य अधिकारियों ने किया तो जल्द ही जनपद के तमाम तालाबों से जलकुंभी गायब दिखाई देने लगेगा।
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