एक मोची के कारनामे से डाक्टर भी हैरत में आ जाते हैं । यह कारनमा बिकास खण्ड पहाड़ी के गणइ नाला निवासी हीरा होता की है ।जोकि मध्यप्रदेश से आकर यहा बसा है ।शुरू में हीरा मरे हुए पशुओ के मास को खीचकर सुखा के बेचता था और मरे हुए पशुओ के हड्डियों को इकठ्ठा करके बेचता था ।खाली समय में जुता चप्पल बनाकर परिवार का भरणपोषण करता है । सुबह छ बजे दस बजे तक अपनी डाक्टरी चलाता है ।चोट मोच खिसकी हड्डी यहा तक की आत को भी बैठाने का काम हीरा के डाक्टरी में किया जाता है ।दुर दराज यहा तक की अन्य जिले से भी मरीज यहा इलाज के लिए आते हैं। इनके इलाज में मरीज को सुबह से आकर नम्बर लगाना पड़ता है एक मरीज के इलाज में 20 से 30 मिनट का समय लगता है मरीज को तुरन्त आराम मिलता है बणी खुशी से लोग लौट के जाते हैं फीस बहुत कम लगता है जहाँ डाक्टर हजार पाच सौ लेते हैं हीरा के यहाँ 100 से 50 रू में इलाज हो जाता है पैसा न रहने पर भी इलाज हो जाता है हीरा से पुछने पर बताया कि यह ज्ञान मुझे अपने गुरु द्वारा मिला है।
जूता सिलने के 4 घंटे बाद चलाता है डॉक्टरी -मिर्जापुर
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