मिर्जापुर जनपद के विंध्य पहाड़ियों पर विराजमान आदिशक्ति जगत जननी मां विंध्यवासिनी देवी के मंदिर में आम जनमानस में मान्यता के मुताबिक सच्चे व निर्मल मन से मां का स्तुति पूरे भारतवर्ष में कहीं भी करने मात्र से तमाम कष्टों के निवारण के दावे किए जाते रहे हैं ।तो वही माता के अनन्य भक्त व प्रमुख श्रृंगारिया विंध्याचल मंदिर के कृष्ण मोहन मिश्रा के मुताबिक माता को गहने रुपए या अन्य कीमती धातु की चढ़ावे की कोई आवश्यकता नहीं है, माता की प्रसन्नता सबके लिए बराबर से है विंध्यवासिनी देवी के धाम में जो कोई भक्त आते हैं सिर्फ मां विंध्यवासिनी ,मां विंध्यवासिनी ,मां विंध्यवासिनी का जप करें व उनके नामों को लेता रहे मां इतने से ही प्रसन्न होती हैं ,और अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करने का आशीर्वाद भी देती है ।मां विंध्यवासिनी की असीम अनुकंपा से समूचा ब्रह्मांड संचालित होता है हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सभी धर्मों के लोग अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए माता के दरबार में आते हैं मां सबकी व समूचा मानव इनका ही देन है ।विंध्य पर्वत पर गंगा नदी एक किनारे विंध्यवासिनी देवी का स्थापित मंदिर दूर-दूर तक ख्याति प्राप्त है वर्ष में दो बार नवरात्र के वक्त देश के कोने-कोने से श्रद्धालु माता रानी के चरणों में शीश झुकाने के लिए आते हैं ।शरद ऋतु का नवरात्र व बासंतिक का नवरात्र आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अति महत्वपूर्ण माना जाता है ।शेर की सवारी करती मां विंध्यवासिनी देवी भक्तों के लिए सदैव तत्पर रहती हैं ।विंध्याचल रेलवे स्टेशन से महज 1 किलोमीटर की दूरी पर व मिर्जापुर रेलवे स्टेशन से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित माता के धाम में पहुंचने के लिए हर वक्त साधन उपलब्ध रहता है ।दूरदराज से आए भक्तजन व दर्शनार्थियों पर्यटकों के लिए जनपद मिर्जापुर में हर श्रेणी के होटल उपलब्ध है दर्शनार्थियों के लिए विशेष रियायत आर्शिका होटल मिर्जापुर में गणेशगंज में सर्व सुविधा संपन्न युक्त माना जाता है |विंध्यवासिनी देवी के दर्शन के उपरांत मां काली व मां अष्टभुजा देवी के दर्शन करने के उपरांत त्रिकोण करने से स्वास्थ्य व दीर्घायु का आशीर्वाद इस मार्ग पर तमाम ऋषि मुनियों के द्वारा दर्शनार्थियों को मिलता रहता है।
आशीर्वाद इस मार्ग पर ऋषि मुनियों के द्वारा दर्शनार्थियों को मिलता रहता है-MIRZAPUR
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