वीरेंद्र गुप्ता पत्रकार 9453821310,
जिला मानसिक स्वास्थ्य प्रकोष्ठ, मीरजापुर उ. प्र.*
_
आज दिनांक 26 जून 2021 को जिला मानसिक स्वास्थ्य प्रकोष्ठ मिर्जापुर द्वारा अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थ सेवन निषेध दिवस के उपलक्ष में मानसिक स्वास्थ्य शिविर का आयोजन मंडलीय जिला चिकत्सालय मीरजापुर में किया गया।
शिविर में नशा एवं मादक पदार्थों के सेवन से होने वाले परेशानियों तथा मानसिक बीमारियों के विषय में लोगों को जागरूक किया गया तथा उनका उपचार व काउंसलिंग किया गया।
शिविर का प्रारंभ मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के मनोचिकित्सक डा पूजा सिंह द्वारा शिविर में आए लोगों को संबोधित करते हुए बताया गया कि नशीले पदार्थो जैसे शराब गांजा भांग चरस आशीष अफीम व हीरोइन इत्यादि नशीले पदार्थों के सेवन से मानसिक बीमारी होने का खतरा बहुत बढ़ जाता है क्योंकि अत्यधिक नशा लेने से दिमाग पर उसका गहरा प्रभाव पड़ता है जिसकी वजह से व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षण प्रकट हो सकते हैं जैसे गुस्सा चिड़चिड़ापन लड़ाई झगड़ा मारपीट करना घबराहट बेचैनी होना नींद की समस्या होना चोरी करना दिमाग में अपने आप अजीब अजीब आवाजें आना शक शंका का का बढ़ जाना, याचना के व्यक्ति के व्यवहार में अत्यधिक आक्रामकता तथा उन्माद के लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं। कभी-कभी व्यक्ति में निराशा या उदासी के भी लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं तथा स्पष्ट रूप से सोचने और दैनिक कार्यकलापों करने में कठिनाई का अनुभव किया जाने लगता है। इस तरह के लक्षण मानसिक बीमारी के अंतर्गत आते हैं या यह कह सकते हैं कि जब नशे से व्यक्ति अत्यंत ग्रसित हो जाता है तो इस तरह के मानसिक बीमारी के लक्षण उत्पन्न होने की संभावना बढ़ जाती है। उन्होंने आगे कहा कि ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर नशे से ग्रसित व्यक्ति को सहयोग के साथ साथ चिकित्सकीय इलाज की आवश्यकता होती है। नशे से ग्रसित कोई भी व्यक्ति सही इलाज और दृढ़ आत्मविश्वास के साथ नशे के लत से बाहर आ सकता है। नशे या किसी प्रकार के मानसिक रूप से ग्रसित कोई भी व्यक्ति सहायता के लिए मंडलीय जिला चिकित्सालय मीरजापुर में कक्ष संख्या 124 में सहायता के लिए आ सकता है। साथ ही विभाग के हेल्पलाइन पर भी संपर्क कर आवश्यक सलाह ले सकते है।
मानसिक विभाग के मनोवैज्ञानिक राहुल सिंह ने शिविर में आए मरीजों को काउंसलिंग करतें हुए लोगो को यह जानकारी दी कि नशे के लंबे समय तक सेवन करने से उनके सोचने समझने कि क्षमता प्रभावित होने लगती है साथ ही उनके दैनिक क्रिया कलाप और उनके व्यक्तित्व में परिवर्तन देखने को मिलता है। नशे से ग्रसित लोगो को नशे कि लगातार तलब होने लगती और तेज तलब होने पर यदि व्यक्ति को नशा नहीं मिल पाता तो उसमे बहुत सारी शारीरिक एवं मानसिक परेशानियां देखी जा सकती है ऐसी समस्यायों में औषधियों के साथ साथ मनोवैज्ञानिक परामर्श बहुत ही आवश्यक भूमिका हो जाती है।
सैकेट्रिक सोशल वर्कर अभिषेक सोनकर ने नशे कि वजह से उत्पन्न होने वाली समजिक समस्याओं जैसे बढ़ती गरीबी, बेरोजगारी, पारिवारिक कलह चोरी, समाज में बढ़ती अपराध के साथ ही असामयिक मृत्यु के कारण पूरे परिवार को प्रभावित होना तथा व्यावसायिक समस्याओं आदि बिंदुओं पर संक्षेप में चर्चा किया।
शिविर में सैंकेट्रिक नर्स श्वेता वर्मा तथा तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम से डा. राजेश यादव तथा मंडावी देवी ने आवश्यक सहयोग प्रदान किया।