मिर्जापुर रेलवे स्टेशन के आधुनिकीकरण के लिए सरकार ने चौतीस करोड़ से अधिक रुपए का प्रावधान किया है ।ऐसे में रेलवे विभाग के बड़े एवं उच्च अधिकारियों की मौजूदगी के बावजूद भी निर्माण में मानक विहीन सामग्री इस्तेमाल किए जाने का मामला प्रकाश में आया है । गुणवत्ता के मामले में रेलवे की सर्वाधिक उपयुक्त उदाहरण मानी जाती है लोग मिसाल देते हैं की रेलवे जैसा काम होना चाहिए ,क्योंकि लोग जानते हैं कि रेलवे के काम में गुणवत्ता से समझौता नहीं होता है। लेकिन मिर्जापुर रेलवे स्टेशन पर निर्माणाधीन स्टेशन में घटिया किस्म के सामग्री का प्रयोग किए जाने का आरोप लगाया जा रहा है ।बताया गया की मौके पर दोयम दर्जे की ईट प्रयोग किया जा रहा था , घटिया ईंट के प्रयोग के बारे में गति के अधिकारी अमर गुप्ता से वार्ता कर जानकारी प्राप्त की गई ।अधिकारी अमर गुप्ता ने बताया कि घटिया किस्म के ईंट के निर्माण पर ठेकेदार को हिदायत दे दी गई है ।लिखित स्पष्टीकरण भी मांगा गया है ।खराब किस्म के ईंट को प्रयोग में ना लाए जाने की भी सख्त हिदायत गति के अधिकारी अमर गुप्ता के द्वारा ठेकेदारों को दे दी गई है। गति के अधिकारियों के द्वारा तत्काल कार्रवाई के बाद भ्रष्ट सामग्री सप्लायरों में भी हड़कंप है। उपरोक्त संपूर्ण प्रकरण पर आई ओ डब्लू के अधिकारी आरएन सिंह ने पल्ला झाड़ते कहां की हो रहे निर्माण से उनका किसी भी प्रकार का लेना-देना नहीं है । जबकि रेलवे जैसे महत्वपूर्ण विभाग में नाबालिक श्रम भी खुले रूप से कार्य करते
देखे गए। मौके पर कार्यरत नाबालिक लड़की के द्वारा बताया गया कि उसको रोज तीन सौ रुपया प्रतिदिन के हिसाब से ठेकेदार के द्वारा दिया जाता है। नाबालिक लड़की ने बताया कि वह पिछले कई दिनों से यहां काम कर रही है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि
बड़े-बड़े जिम्मेदार अधिकारियों के बावजूद घटिया किस्म के ईंट से निर्माण कराया जाना और बाल श्रम मजदूरी को ना रोक पाना कई बड़ा सवाल खड़ा करता है। निर्माण कार्य कर रहे कंपनी के कुछ ठेकेदारों ने कहा कि घटिया किस्म के ईट का प्रयोग नहीं किया जा रहा है गलती से आ गया था इसको वापस कर दिया जाएगा।