पीएफआई को प्रतिबंधित करने के पूर्व सरकार के द्वारा तमाम पुख्ता सबूत एकत्रित किए गए थे-जेडब्ल्यूएस
जेडब्ल्यूएस मिर्जापुर में बैठक के बाद इस बात पर चर्चा हुआ कि हिंदुस्तान की प्रवर्तन निदेशालय के सतर्कता से देश विरोधी कार्यो में लिप्त संगठन के लेन-देन का हिसाब किताब लोगों के सामने आना संभव हो पाया है।
कई भारतीय जांच एजेंसियां , जिसमे खासतौर से ईडी के जांच के बाद अवैध रूप से संचालित कार्यों के लिए फंडिंग के रहस्य को मनी लांड्रिंग अवैध दान आदि का खुलासा ईडी विभाग की तरफ से किया गया है। प्रवर्तन निदेशालय के मुताबिक
हिंदुस्तान से बहुत सारे लोग कामकाज और रोजगार के सिलसिले में खाड़ी देशों में जाते हैं । वहाँ पर काम करने वाले कामगार जब हिंदुस्तान में पैसे भेजते हैं तो हिंदुस्तान में पीएफआई अपनी जिला समितियों के माध्यम से भेजे गए धन का एक हिस्सा अपने वित्तपोषण के लिए इस्तेमाल करती है।
उसके अलावा खाड़ी के देशों मॅ चीन द्वारा नियंत्रित कई कंपनियां है,जो खाड़ी देशों में खरीदे हुए सामान का भुगतान चीन को ना भेजकर भारत में भुगतान के लिए भेज दिया जाता है। इस तरीके से थर्ड पार्टी से हुए भुगतान के माध्यम से यह धन पीएफआई को मिलता है। विदेशों से होने वाले इस तरह से वित्तपोषण से धन पीएफआई के खातों में सीधे तौर पर जमा न होना प्रतीत होता और विदेश से मिलने वाली फंडिंग का कोई भी हिस्सा साक्ष्य के रूप में ना दिखाया जा सके। सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जांच में पाया गया कि चंदे के तौर पर जो चंदा पीएफआई प्राप्त करती है।
उसमें से बहुत सारे फर्जी दानदाता होते हैं। जिन आदमियों के नाम से चंदे की रसीद काटी गई थी,
जब उनसे पूछताछ की गई तो पता लगा वह लोग बहुत गरीब हैं, और पीएफआई क्या किसी भी ऐसी संस्था को चंदा देने की हैसियत नहीं रखते है।
यहां तक कि बहुतों को तो पीएफआई के बारे में जानकारी भी नहीं थी । खातों में धन हस्तांतरण के मामले में भी यह पाया गया कि कुछ खाते हैं ऐसे हैं जिन्हें पीएफआई के नेता खुद ही संचालित करते हैं और पीएफआई के खातों में धन स्थानांतरित कर देते हैं। अभी भी प्रवर्तन निदेशालय द्वारा पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उसकी फ्रंट आर्गेनाईजेशन रिहैब इंडियाफाउंडेशन के बैंक खातों में जब्त 73 लाख की धनराशि को लखनऊ की विशेष अदालत में अभियोजन शिकायत दर्ज की गई है।