VIRENDRA GUPTA – विकास खण्ड सिटी के शंकराचार्य आश्रम रायपुर पोख्ता में चल रहे पांच दिवसीय आध्यात्मिक सत्संग के तीसरे दिन काशी धर्म पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणानन्द तीर्थजी महाराज ने अपने श्रीमुख से दिव्य उपदेश दिए | स्वामी जी ने कहा कि व्यक्ति को अगर मुमुक्ष होने की इच्छा है तो सद्गुरु के पास जाना चाहिए स्वामी जी ने कहा जैसे मिट्टी के बगैर घड़े का कोई अस्तित्व नही है वैसे ही परमात्मा के बिना जीव का कोई अस्तित्व नही है। उन्होंने कहा कि जो भगवान के बिभूति को समझ ले उसे अविकम्प योग की प्राप्ति हो जाती है। योगी लोग तत्व से भगवान के बिभूति को जान लेते है। स्वामी जी ने कहा हमारे अन्दर भगवान सब भावो को पैदा करते हैं । हमारे अन्दर जो भी भाव पैदा होता है ओ ईश्वर ही कराता है और हम उसे भूल बैठे है यह याद हमे सत्संग से होता है। वही दिखा रहा है वही देख रहा है यह ब्रह्म विद्या है यह रटने वाली विद्या नही है यह अनुभव की चीज है प्रीति की दिशा बदलनी पड़ेगी यदि आपको आनंद से जीना है तो ।परमात्मा एक जादूगर है जो सबके अन्दर है चाहे पापी हो या पुण्यात्मा हो स्वामी जी ने कहा यह दृश्यमान जगत जरूरी है क्योकि कैसे मालूम होगा कि इसका मालिक भी है ओ असुर से सुर बना देते है और सुर को असुर बना देते है।
“देते ईश फल हृदय विचारी” स्वामी जी ने कहा प्रेम में ही गुणों का निवास है देवता भगवान की विभूति को जानते है ।महर्षि भगवान के प्रभाव को जानते है। ईश्वर के बारे में जो सुने और जो जाने वह बड़ा भाग्यशाली है अगर सुनने व जानने की इच्छा न हो तो समझो वह रोगी है उसका निवारण सदगुरु के पास होगा सद्गुरु वैद्य वचन विश्वासा महाप्रसाद एवम भंडारा का कार्यक्रम 8 मार्च को सुबह 10 बजे से किया जाएगा इस मौके पर कथा के आयोजक हरिश्चन्द्र शुक्ल ग्राम प्रधान ,शारदा प्रसाद शुक्ल, अशोक शुक्ल,जगरनाथ शक्ल ,बंशी शुक्ल,भोलानाथ,रामेश्वर आदि लोग काफी संख्या में उपस्थित रहे |
सत्संग में बहाई ज्ञान की गंगा – जगद्गुरु शंकराचार्य
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