जन्म के बाद छः माह तक केवल स्तनपान जरूरी – मुख्य विकास अधिकारी
‘‘पानी नही केवल स्तनपान’’ अभियान के तहत आयोजित हुई कार्यशाला
मिर्जापुर। 17-06-2022 जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार के निर्देशन पर बाल विकास विभाग की ओर से ‘‘पानी नही केवल स्तनपान’’ पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम विकास भवन स्थित सभागार में आयोजित हुआ । प्रशिक्षण में 90 कार्यकर्ता को प्रशिक्षित करने का कार्य किया गया। इस आशय की जानकारी मुख्य विकास अधिकारी श्रीलक्ष्मी वीएस लक्ष्मी ने दी।
आयोजित प्रशिक्षण के दौरान मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि यह अभियान स्वास्थ्य विभाग व बाल विकास विभाग के सहयोग से चलाया जा रहा है। जिसके तहत विभाग में कार्यरत आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व स्टाफ नर्स बखूबी जिम्मेदारी निभा रही है। इसके साथ ही उन्होंने खुद स्तनपान के महत्व को बताया और कहा कि इससे बच्चे को कुपोषित होने से बचाया जा सकता है। मां के दूध में 90 प्रतिशत पानी की मात्रा होती है इसलिए छह माह तक पानी देने की कोई आवश्यकता नही है। उन्होने उपस्थित आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से अपील किया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में डोर-टू डोर जाकर स्तनपान के विषय में विस्तारपूर्वक बताये। जिससे लोगों को जागरूक किया जा सके और शिशु मृत्युदर को भी रोका जा सके। इसके साथ ही किसी केन्द्र या चिकित्सालयों पर डिब्बा बन्द दूध पाया जाता है तो विभागीय स्तर से कार्यवाही भी किया जायेगा।
जिला कार्यक्रम अधिकारी वाणी वर्मा ने उपस्थित लोगों को बताया कि यह अभियान केन्द्रों पर 30 जून चलेगा। अभियान के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से छह माह के शिुशओं में केवल स्तनपान सुनिश्चित करना है। इसके साथ ही समुदाय में व्याप्त मिथक एवं भ्रान्तियों को भी दूर करने का अर्थक प्रयास किया जाये।
इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर फवीन्द्र ने नाटक के माध्यम से भी स्तनपान के तरीके को बताया और कहा कि किसी भी केन्द्र डिब्बा बन्द दूध मिलता उसके खिलाफ कठोर से कठोर कार्यवाही की जायेगी और 25000 हजार रूपये का अर्थदण्ड भी लगाया जायेगा। शिशु को छह माह की आयु सीमा तक केवल स्तनपान उसके जीवन रक्षा के लिए अत्यंन्त आवश्यक है, लेकिन अब भी जागरूकता की कमी होने के कारण परिवार के सदस्यों द्वारा शिशु को घुट्टी,शहद, चीनी का घोल,पानी आदि का सेवन कराया जा रहा है इन सब कारणों से शिशुओं में कई प्रकार के संक्रमण फैलने का डर बना रहता है, जोकि शिशुओं के स्वस्थ्य जीवन के लिए घातक सिद्ध बन सकता है। शिशु के प्यासा होने की आशंका से पानी देने का प्रचलन गर्मी के दिनों में बढ़ जाता है। मां के दूध में अन्य पौष्टिक तत्वों के साथ-साथ पानी की मात्रा भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होता है और नवजात शिशु की पानी की आवश्यकता केवल स्तनपान से पूरी हो जाती है।